MP में अस्पतालों की खस्ता हालात : मोबाइल की रोशनी में हो रहे हैं प्रसव, जमीन पर लेटे हैं जच्चा-बच्चा

25 गांवों की लगभग 50,000 आबादी शिवपुरी जिले के झिरी प्रसव केंद्र पर निर्भर है. आप यकीन करें या नहीं ये मॉडल केन्द्र हैं, जहां प्रसूताएं मोमबत्ती की रोशनी में लेटी हैं. भदरौनी गांव की एक महिला का प्रसव भी मोबाइल और मोमबत्ती की रोशनी में हुआ.

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भोपाल:

कोरोना महामारी के दौर में मध्यप्रदेश सरकार रोज अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध करवाने के दावे करती है, लेकिन रोज ऐसी तस्वीरें आती हैं जो इन दावों को झुठलाती हैं, बताती हैं हकीकत क्या है. 25 गांवों की लगभग 50,000 आबादी शिवपुरी जिले के झिरी प्रसव केंद्र पर निर्भर है. आप यकीन करें या नहीं ये मॉडल केन्द्र हैं, जहां प्रसूताएं मोमबत्ती की रोशनी में लेटी हैं. भदरौनी गांव की एक महिला का प्रसव भी मोबाइल और मोमबत्ती की रोशनी में हुआ, क्योंकि बाढ़ के बाद 8 दिनों से यहां बिजली नहीं है, कोई वैक्ल्पिक इंतजाम नहीं है. 5 साल पहले सोलर लाइट लगी थी जिम्मेदार कहते हैं चोरी हो गई.

यहां तैनात नर्स राधा ने सवाल पूछने पर कहा लाइट नहीं हैं, पहले बहुत अच्छे से लाइट आती थी कुछ दिनों से नहीं है. उनका कहना था कि उन्होंने अधिकारियों को इस बारे में  अवगत कराया है.

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शाजापुर के जिला अस्पताल में बाहर संक्रमण से शायद कोई बच भी जाए लेकिन इस प्रसूता वार्ड में कोई संक्रमित हो तो फिर कोरोना को रोकना मुश्किल है. स्वास्थ्य सुविधाएं तो छोड़िये, एक बिस्तर पर दो-दो महिलाओं को लिटा कर इलाज किया जा रहा है, कई नवजात भी जमीन पर लेटे हैं.

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सवाल पूछने पर सिविल सर्जन डॉ बीएस मैना आश्वसत करते कहते हैं, हम व्यवस्था कर रहे हैं जैसे ही हो जाएगी सबको व्यवस्थित कर देंगे.

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उमरिया को स्मार्ट सिटी बनाने करोड़ों का बजट मिला लेकिन सड़क हादसे के शिकार घायल दम्पत्ति को पहले अस्पताल पहुंचाने वक्त पर एंबुलेंस नहीं आई, मौत के बाद शव-वाहन नहीं आया. कचरा गाड़ी में शव को भेजा गया. सीएमएचओ डॉ आर.के.मेहरा ने कहा यदि हमें जानकारी मिलती है तो जिले से व्यवस्था करवाते हैं, नहीं मिलती तो नहीं कर पाते हैं.

हालांकि, मंत्रीजी कहते हैं कहीं कोई दिक्कत नहीं है, स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभूराम चौधरी को चारों तस्वीरों दिखाकर एनडीटीवी ने सवाल पूछा तो जवाब मिला ऐसा है कि हम सिर्फ कमी निकालने बैठ जाएं तो कहीं ना कहीं कम हो सकती है, सुधार के पूरे प्रयास किये जा रहे हैं. इंसान हैं, आदमी हैं उससे कहीं भी चूक हो सकती है लेकिन उसको ठीक करने के पूरे प्रयास कर रहे हैं, मैंने स्वंय दो जिलों के मरीजों से यहां बैठकर बात की.

महामारी में बातें और घोषणाएं जोर शोर से हुई लेकिन हकीकत ये है. 

कुल 188 ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट बनने हैं, जिसमें 61 कमीशन हुए हैं, सिर्फ 13 इंस्टॉलेशन के लिये तैयार हैं. 52 ज़िला अस्पतालों में सिर्फ 14 में सीटी स्कैन मशीनें लग पाई हैं. 13 मेडिकल कॉलेजों में 1280 वेंटिलेटर हैं जिसमें 23 खराब हैं, सरकारी अस्पतालों में फिलहाल 12150 बेड मौजूद हैं.

सरकार को हाईकोर्ट में कोरोना के मद्देनजर स्टेटस रिपोर्ट पेश करनी थी जिससे ये जानकारी मिली है, यही नहीं कोर्ट मित्र नमन नागरथ ने बताया कि पिछली स्टेटस रिपोर्ट में सरकार ने कहा कि मई में कोरोना के पीक में भी 850 वेंटिलेटर की आवश्यकता ही नहीं पड़ी. ये जवाब आश्चर्यजनक है तब जब हम सबने ऑक्सीजन और वेंटिलेटर बेड की कमी से मरीजों को तड़पकर मरते देखा था.

आज़ाद भारत की एक और तस्वीर, 15 अगस्त के दिन सतना जिले की कोटर तहसील के बिहरा गांव से जहां सड़क नहीं है, बीच रास्ते में प्रसूता का प्रसव हो गया. गनीमत ये है कि जच्चा-बच्चा सुरक्षित हैं.

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