"रघुपति राघव राजा राम, कम वेतन में ज्यादा काम...": MP में आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल

मध्य प्रदेश में आशा कार्यकर्ता महीने भर से प्रदर्शन कर रहे हैं. आंदोलनकारियों की मांग है कि उनकी सेवा को नियमित किया जाए और उन्हें वेतन दिया जाए.

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भोपाल:

देश में पिछले 2 साल के दौरान महामारी के दौर में आशा कार्यकर्ताओं ने बड़ी जिम्मेदारियां उठाई थी. कोविड का सर्वे हो या महामारी से बचाव की जानकारी या टीकाकरण के प्रोत्साहित करने का काम. आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य सेवाओं की पहली कड़ी हैं. अपनी मांगों को लेकर वो कई बार हड़ताल कर चुकी हैं. सरकार आश्वासन का झुनझुना थमा देती है होता कुछ नहीं है. एक बार फिर कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं लेकिन मध्य प्रदेश में आशा कार्यकर्ता हड़ताल पर हैं. मांग एक बार फिर उनकी वही है कि नियमित किया जाए और पर्याप्त वेतन दिया जाए. 

कोविड से पहले भी बच्चों और गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण, पोषण, स्वच्छता जैसे कई काम आशा कार्यकर्ताओं के ही जिम्मे होते थे. देश को पोलियोमुक्त बनाने से लेकर मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने में भी ये अहम हैं कई मायनों में. प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में सबसे अहम कड़ी भी इन्हें माना जाता है.  लेकिन इनकी तकलीफ ये है कि ये सरकारी कर्मचारी नहीं हैं.  बल्कि स्वयंसेवक हैं, इन्हें तनख्वाह नहीं मानेदय दिया जाता है वो भी कई महीनों की देरी से. 

महीने भर से आशा कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं. आंदोलनकारी नारे लगा रहे हैं कि रघुपति राघव राजा राम कम वेतन में ज्यादा काम. आधी रोटी खाएंगे काम पर नहीं जाएंगे. देवास में 1400 आशा कार्यकर्ता हड़ताल पर हैं, उन्होंने भैंस के आगे बीन बजाकर विरोध प्रदर्शन किया है.

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हड़ताल से आम लोग परेशान 

आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल से लोग परेशान हैं. आगर-मालवा के अर्जुन नगर कॉलोनी में रहने वाली गजाला बी जैसी गर्भवती महिलाएं परेशान हैं.  मंगलवार को गर्भवती महिलाओं को टीका लगाया जाता है. हड़ताल की वजह से स्वास्थ्य केन्द्र तक लिस्ट नहीं पहुंची. इसलिये टीका नहीं लगाया गया अब गर्भ में पल रहे बच्चे को लेकर परिवार चिंतित है. 

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आशा कार्यकर्ताओं की क्या है मांग?

अपनी मांगों को लेकर आशा कार्यकर्ता रेखा चौहान ने बताया कि  हमारी 15 मांगें हैं. अभी 2 हैं हमें नियमित किया जाए और हमारा वेतन किया जाए. सुपरवाइजर का 15000 आशा कार्यकर्ताओं को 10000. एक अन्य आशा कार्यकर्ता किरण चंद्रपाल ने कहा कि डिलेवरी में जाते हैं तो सोने बैठने की व्यवस्था नहीं होती, पंचायत हो या कोई सर्वे हमसे करवाते हैं हमारा कोई वेतन नहीं होता. उन्होंने कहा कि  2000 मिलते हैं उसमे काम नहीं चलता डिलेवरी होती है तो 300 मिलते हैं. जैसे-जैसे काम होता है पैसे मिलता है. काम के दौरान सर्वे करवाते हैं कहते हैं सर्वे नहीं किया तो 2000 भी काट लेंगे. कोरोना में काम किया, टीवी का सर्वे किया, कुष्ठ रोग का सर्वे किया, आष्युमान में रात को 12-12 बजे तक काम किया. लेकिन सरकार हमारी नहीं सुन रही है. 

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सरकार ने दिया अश्वासन

शाजापुर जिले में आशा कार्यकर्ता मुख्य मंत्री से बुधवार को मिलीं, सरकार एक बार फिर वायदा कर रही है. पूरे मामले पर मंत्री बृजेन्द्र यादव ने कहा कि मांग रखना स्वभाविक है, महिलाओं के बारे में मुख्य मंत्री बहुत संवेदनशील हैं इसपर विचार हो रहा है. गौरतलब है कि  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनावी साल में महिलाओं के लिए पिटारा खोला हुआ है.... विपक्षी दल कांग्रेस के भी सरकार में आने पर अपने वादे हैं.... दावे और वादे के बीच की जो दूरी है वह किसी से छुपी नहीं.

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