शिवसेना VS शिवसेना : महाराष्‍ट्र की हॉट सीट बनी दिंडोशी, जानिए किसका रहेगा दबदबा और क्‍या कहती है जनता

महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections 2024) में दिंडोशी की सीट पर शिवसेना बनाम शिवसेना के बीच कांटे की टक्‍कर है. यहां संजय निरुपम (Sanjay Nirupam) और सुनील प्रभु (Sunil Prabhu) आमने-सामने हैं.

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महाराष्‍ट्र की दिंडोशी विधानसभा सीट पर मुख्‍य मुकाबला शिवसेना बनाम शिवसेना के बीच है.
मुंबई:

महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections 2024) में दिंडोशी की सीट हॉट सीट बन गई है. यहां दो दिग्‍गज राजनेताओं के चुनावी मैदान में उतरने से  चुनावी रण में शिवसेना बनाम शिवसेना में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है. एक तरफ महायुति से संजय निरुपम हैं तो दूसरी ओर महाविकास अघाड़ी से सुनील प्रभु को दावेदारी दी गई है. लड़की बहिन योजना से बेरोजगारी और प्रगति से दो शिवसेना तक दिंडोशी के वोटर के मुद्दे जानने के साथ ही प्रत्‍याशियों की गारंटी और जनता का मूड भांपने के लिए एनडीटीवी की टीम दिंडोशी पहुंची. 

दिंडोशी में एक ओर आधुनिक इमारतें हैं तो दूसरी ओर पुराने मोहल्लों की रौनक. दिंडोशी सीट पर इस बार मुकाबला बेहद खास है. इलाके की तंग गलियां और व्यस्त बाजार इस बार शिवसेना बनाम शिवसेना के बीच दिलचस्‍प चुनाव जंग देखने वाले हैं. एकनाथ शिंदे गुट के संजय निरुपम और उद्धव ठाकरे के गुट के सुनील प्रभु अपनी किस्‍मत आजमा रहे हैं. 

क्‍या कहती है जनता?

आम लोगों की अलग-अलग पसंद है. एक वोटर ने कहा कि सुनील प्रभु हमें काफी समय से मिलते हैं और हमारे मुद्दों को समझते हैं. इसलिए उनका पलड़ा भारी है. वहीं संजय निरुपम के समर्थकों का विश्‍वास है कि वो यहां से जीत दर्ज करेंगे.

आम लोगों का कहना है कि इस बार दो शिवसेना है, लेकिन हम चाह रहे हैं कि वह जीते जो हमारे मुद्दों पर ध्यान दे, चाहे वह महंगाई का हो या बेरोजगारी का. 

दावों और आरोप-प्रत्‍यारोप का दौर 

दिंडोशी क्षेत्र में हर चुनाव में स्थानीय मुद्दों का दबदबा रहता है. जमीन से लेकर नालों तक के मुद्दे हैं, जिनका लोग समाधान ढूंढते हैं. महायुति के संजय निरुपम ने विधायक रहे सुनील प्रभु पर कोई भी काम न करने का आरोप लगाया और उनकी पार्टी को बेईमान बताया है. 

संजय निरुपम ने कहा, "इस बार एक ही शिवसेना है. दूसरा पक्ष मुस्लिम लीग है. दिंडोशी की कई जमीन हड़प ली गई. लोगों के घर तक स्वच्छ पानी नहीं पहुंचता. हमारी सरकार आते ही इस महायुद्ध की लहर में दिंडोशी में संजय निरुपम चुनकर आएगा. हम लोगों को स्वच्छ पानी, अच्छा मकान, मैदान, स्कूल बनाकर देंगे, जो पिछले दो कार्यकाल में सुनील प्रभु करना भूल गए."

उधर, सुनील प्रभु भी जोर-शोर से प्रचार अभियान में जुटे हैं. सुनील प्रभु ने न सिर्फ निरुपम के आरोपों का जवाब दिया बल्कि अपने कामों की रिपोर्ट भी सौंपी. साथ ही उन्‍होंने संजय निरुपम को बाहरी बताया. निरुपम को चुनौती देते हुए सुनील प्रभु ने उनसे आमने-सामने आरोप लगाने की चुनौती दी. 

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सुनील प्रभु ने कहा, "मुझ पर आरोप लगाने वाले पहले यह देख ले कि मैंने क्या कुछ काम किया है. डाबर के रास्ते को पक्का रास्ता बनाया, लोगों को मकान दिए, डायलिसिस सेंटर बनाया. यह संजय निरुपम मुझसे क्या बात करेंगे. जो भी नतीजा है, वह 23 नवंबर को स्पष्ट हो जाएगा. दिंडोशी की जनता किस पर भरोसा रखती है यह भी बात सामने आ जाएगी."

क्‍या कहता है दिंडोशी का गणित?

  • दिंडोशी की कुल जनसंख्या 1,56,300 है जिसमें लगभग 55% पुरुष और 45% महिला मतदाता हैं.

  • 2019 में 55.49% वोटर टर्नआउट था जबकि 2014 में 53.63% मतदाताओं ने मतदान किया.

  • पिछले दो चुनावों में अविभाजित शिवसेना का दबदबा रहा है. सुनील प्रभु दो बार बड़े मार्जिन से चुन कर आए हैं. हालांकि, इस बार दो शिवसेना और उनके 2 उम्मीदवार हैं.

विकास, वादों और जुड़ाव पर टिका फैसला 

यहां के मतदाता उम्मीदवारों की योजनाओं और वादों पर चर्चा कर रहे हैं. खासकर महिला मतदाताओं के बीच महायुति की लड़की बहिन योजना को लेकर उत्सुकता है, पर स्थानीय जुड़ाव को भी तवज्जो दी जा रही है. 

एक महिला ने कहा कि महायुति ने हमारे लिए काम किया है. 7500 रुपए (हर महीने 1500 रुपये) भी आए हैं. वोट देना होगा तो इसी सरकार को दूंगी ताकि आगे भी पैसे आते रहें और हमारा भला हो. 

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दिंडोशी की जनता का फैसला विकास, वादे और यहां से जुड़ाव पर निर्भर करता है, जहां शिवसेना के महायुति और महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवार आमने-सामने हैं. जनता अपने उम्मीदवारों से विकास की योजना और व्यक्तिगत जुड़ाव चाहती है, लेकिन इस बार दो शिवसेना के बीच झूल रही है. अब 23 नवंबर को देखना है कि कौनसी शिवसेना जीत का सेहरा अपने सर बांधेगी. 

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