क्या है दुर्लभ धारीदार ग्रासबर्ड, गढ़चिरौली के घने जंगल में दिखा तो चौंक गया वन विभाग

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के चपराला वन्यजीव अभयारण्य में सर्वेक्षण के दौरान एक दुर्लभ धारीदार ‘ग्रासबर्ड’ नामक पछी की उपस्थिति दर्ज की गई. वन विभाग के मुताबिक, यह खोज अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह प्रजाति पूर्वी महाराष्ट्र में अत्यंत दुर्लभ है.

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  • गढ़चिरौली के चपराला वन्यजीव अभयारण्य में दुर्लभ धारीदार ग्रासबर्ड पक्षी की उपस्थिति सर्वेक्षण में दर्ज की गई
  • धारीदार ग्रासबर्ड पक्षी को पूर्वी महाराष्ट्र में अत्यंत दुर्लभ माना जाता है और इसका पिछला रिकॉर्ड 1923 का है
  • सर्वेक्षण में संकटग्रस्त पक्षी प्रजातियों जैसे रिवर लैपविंग और ब्लैक-हेडेड आइबिस का भी दस्तावेजीकरण हुआ
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महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के चपराला वन्यजीव अभयारण्य में सर्वेक्षण के दौरान एक दुर्लभ धारीदार ‘ग्रासबर्ड' नामक पछी की उपस्थिति दर्ज की गई. वन विभाग के मुताबिक, यह खोज अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह प्रजाति पूर्वी महाराष्ट्र में अत्यंत दुर्लभ है. उप-वन अधिकारी (डीएफओ) मंगेश बालापुरे ने बताया कि इससे पहले महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश सीमा पर जलगांव जिले में तापी नदी बेसिन में केवल एक बार धारीदार 'ग्रासबर्ड' के होने की सूचना मिली थी. नागरिक विज्ञान पहल के तहत 29-30 नवंबर को चपराला वन्यजीव अभयारण्य में किए गए पक्षी सर्वेक्षण के दौरान प्राणहिता नदी के किनारे लंबी घास वाले वास में दो धारीदार 'ग्रासबर्ड' देखे गए.

केंद्रीय संग्रहालय नागपुर के तत्कालीन क्यूरेटर ई.ए. डी'अब्रू ने 1923 में तत्कालीन मध्य प्रांत और बरार (अब मध्य प्रदेश और विदर्भ) में धारीदार 'ग्रासबर्ड' देखे जाने का उल्लेख किया था. वर्ष 1923 के बाद से इस पक्षी को इस क्षेत्र में बहुत कम देखा गया था, जिससे यह एक महत्वपूर्ण खोज बन गई. सर्वेक्षण में नदी पर आश्रित संकटग्रस्त प्रजातियों (आईयूसीएन के अनुसार) की काफी संख्या का दस्तावेजीकरण किया गया, जिसमें रिवर लैपविंग, ओरिएंटल डार्टर और ब्लैक-हेडेड आइबिस शामिल हैं, जो 'लगभग संकटग्रस्त' श्रेणी में आते हैं.

विज्ञप्ति के अनुसार, 'सर्वेक्षण के दौरान कई अन्य असामान्य और उल्लेखनीय प्रजातियां दर्ज की गईं, जैसे कि नारंगी छाती वाला हरा कबूतर, पिन-धारीदार टिट-बैबलर, वन वैगटेल, भारतीय स्कॉप्स उल्लू और बाज जैसा दिखने वाला भूरा उल्लू. सर्वेक्षण के दौरान लगभग 140 प्रजातियां दर्ज की गईं.'' चपराला वन्यजीव अभयारण्य 134.78 वर्ग किलोमीटर में फैला है और ताडोबा-अंधारी बाघ अभयारण्य के नियंत्रण में आता है. यह पश्चिम में प्राणहिता नदी और महाराष्ट्र-तेलंगाना सीमा से और दक्षिण-पश्चिम में वैनगंगा नदी से घिरा है.

इस अभयारण्य में विविध प्रकार की वनस्पतियां और जीव-जंतु पाए जाते हैं, जिनमें महाराष्ट्र का राज्य पशु ‘विशाल गिलहरी' (शेखरू) के साथ-साथ बाघ, तेंदुआ, भालू, चित्तीदार हिरण, सांभर, चार सींग वाला मृग और भारतीय वृक्ष-छछूंदर आदि प्रजातियां शामिल हैं.

चपराला अभयारण्य में यह पहला नागरिक विज्ञान पक्षी सर्वेक्षण था. इस अपेक्षाकृत अनदेखे क्षेत्र में विभिन्न पक्षियों का और अधिक दस्तावेजीकरण करने के लिए और अधिक मौसमी पक्षी सर्वेक्षणों की योजना बनाई गई है, जिससे और भी कई प्रजातियों की खोज किये जाने की उम्मीद है.

‘नागरिक विज्ञान पक्षी सर्वेक्षण' में वैज्ञानिकों के साथ आम लोग भी हिस्सा लेते हैं और पक्षियों के बारे में जानकारी एकत्र करते हैं, ताकि वैज्ञानिक शोध और उनके संरक्षण के लिए उनकी संख्या और व्यवहार पर नजर रखी जा सके.''

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