बालासाहेब की वसीयत और विरासत को लेकर गरमाई राजनीति, कदम के सवालों पर संजय राउत का पलटवार

रामदास कदम ने कहा, "उद्धव ठाकरे को बालासाहेब का नाम लेने का कोई अधिकार नहीं है. मैं पूछना चाहता हूं कि बालासाहेब की मृत्यु कब हुई? उसके बाद उनका पार्थिव शरीर दो दिन तक मातोश्री में क्यों रखा गया? आप उनके डॉक्टर से पूछ सकते हैं. मैं यह बयान जिम्‍मेदारी के साथ दे रहा हूं."

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  • रामदास कदम ने दावा किया कि बालासाहेब ठाकरे की पार्थिव देह दो दिन मातोश्री में रखी गई और हाथों के निशान लिए गए.
  • कदम ने सवाल उठाया कि बालासाहेब की वसीयत किसने लिखी? यह कब लिखी गई और इस पर किसने हस्ताक्षर किए?
  • उन्होंने कहा कि मातोश्री के उस कमरे में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं थी जहां बालासाहेब को रखा गया था.
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मुंबई :

एकनाथ शिंदे की शिवसेना की दशहरा रैली में वरिष्ठ नेता रामदास कदम ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि बालासाहेब ठाकरे की पार्थिव देह को उनके निधन के बाद दो दिनों तक मातोश्री में रखा गया था और उनके हाथों के निशान भी निधन के बाद लिए गए थे. साथ ही उन्‍होंने सवाल किया कि बालासाहेब की वसीयत किसने और कब लिखी. वहीं शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत ने कदम पर पलटवार करते हुए इसे बालासाहेब ठाकरे की स्मृति का अपमान बताया. साथ ही कदम के दावे को निराधार और राजनीति से प्रेरित बताया. 

बालासाहेब ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कदम ने कहा, "उद्धव ठाकरे को बालासाहेब का नाम लेने का कोई अधिकार नहीं है. मैं पूछना चाहता हूं कि बालासाहेब की मृत्यु कब हुई? उसके बाद उनका पार्थिव शरीर दो दिन तक मातोश्री में क्यों रखा गया? आप उनके डॉक्टर से पूछ सकते हैं. मैं यह बयान जिम्‍मेदारी के साथ दे रहा हूं."

वसीयत किसने और कब लिखी?: कदम

उन्होंने आगे कहा, "ऐसी खबरें थीं कि उनके उंगलियों के निशान लिए गए थे. ऐसा क्यों? हम आठ दिनों तक मातोश्री के बाहर सो रहे थे." कदम ने पूछा, "बालासाहेब की वसीयत किसने लिखी? यह कब लिखी गई और इस पर किसने हस्ताक्षर किए?"

रामदास कदम ने मांग की, "मैंने उद्धव ठाकरे से उनके (बाबासाहेब) पैरों के निशान लेने को कहा था, लेकिन उद्धव ने कहा कि उन्होंने उनकी हथेलियों के निशान ले लिए हैं. निशान का आपने क्या उपयोग किया? मुझ पर और उद्धव ठाकरे पर नार्को परीक्षण (इसकी पुष्टि के लिए) होना चाहिए."

कदम ने आगे दावा किया कि मातोश्री के उस कमरे में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं थी, जहां बालासाहेब ठाकरे को दो दिनों तक रखा गया था. 

कदम ने बताया कि 2012 में बाल ठाकरे के निधन के बाद पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं को "खत्म" कर दिया गया. मनोहर जोशी, गजानन कीर्तिकर, दिवाकर रावते और वह खुद भी इसमें शामिल थे. उन्होंने कहा कि तत्कालीन उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को निशाना बनाया जाता था. 

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दावे को निराधार और राजनीति से प्रेरित बताया

कदम के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत ने तीखा हमला बोला. राउत ने शिंदे गुट पर कदम की टिप्पणी को बालासाहेब ठाकरे की स्मृति का अपमान बताया और कदम के दावे को निराधार और राजनीति से प्रेरित बताया. 

संजय राउत ने कहा कि किसी ने रामदास कदम के मुंह में गंदगी भर दी है और अब वह बाहर आ रही है. राउत ने कहा, “हम बालासाहेब की बीमारी के अंत तक मातोश्री में ही थे. उनके निधन को एक दशक से ज्‍यादा हो गया है और ऐसी टिप्पणी करना बालासाहेब का अपमान करने के अलावा कुछ नहीं है. यह पूरी तरह से बेईमानी है.”

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राउत ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे एक पूजनीय व्यक्ति थे, उनकी विरासत को राजनीतिक कीचड़ उछालने में नहीं घसीटा जाना चाहिए. रात ने जोर देकर कहा कि ऐसे दावे निराधार और राजनीति से प्रेरित हैं. उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र और हिंदुत्व के लिए बालासाहेब का योगदान अद्वितीय है. जो लोग उनकी स्मृति को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं, वे पूरी शिवसेना परंपरा का अपमान कर रहे हैं."
 

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