मुंबई के एक बैंक में 2000 करोड़ का घोटाला! टॉप मैनेजमेंट ने मानी अकाउंट बुक्स में हेरफेर की बात

Mumbai IndusInd Bank Scam: प्रारंभिक आकलन के मुताबिक, ऐसा हो सकता है कि इनसाइडर ट्रेडिंग से सैकड़ों करोड़ रुपये का फायदा उठाया गया हो.जांच में यह भी सामने आया है कि बैंक ने खातों में दो अलग-अलग कैटेगरी के तहत एडजस्टमेंट्स किए, जिनका सीधा असर शेयर वैल्यू पर पड़ा.

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मुंबई में इंडसइंड बैंक में घोटाले का खुलासा. (सांकेतिक फोटो)
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  • मुंबई के इंडसइंड बैंक में करीब दो हजार करोड़ की अकाउंटिंग गड़बड़ी का मामला सामने आया है.
  • जांच में पता चला है कि बैंक के पूर्व शीर्ष अधिकारियों ने बुक्स में जानबूझकर एडजस्टमेंट किए थे.
  • आर्थिक अपराध शाखा ने पूर्व सीईओ, डिप्टी सीईओ और सीएफओ के बयान दर्ज कर जांच तेज कर दी है.
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मुंबई:

मुंबई में इंडसइंड बैंक में घोटाले का खुलासा हुआ है. कथित तौर पर 2,000 करोड़ की अकाउंटिंग गड़बड़ी के मामले में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को कई अहम सुराग मिले हैं. जांच से जुड़े सूत्रों के अनुसार, बैंक के तत्कालीन शीर्ष अधिकारियों ने पूछताछ के दौरान यह स्वीकार किया कि बैंक की बुक्स में जानबूझकर एडजस्टमेंट किए गए थे.

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बैंक के पूर्व सीईओ को भेजा समन

पिछले हफ्ते ईओडब्ल्यू ने बैंक के पूर्व सीईओ सुमंत कथपालिया, पूर्व डिप्टी सीईओ अरुण खुराना और पूर्व सीएफओ गोविंद जैन के बयान दर्ज किए थे. अरुण खुराना की भूमिका संदिग्ध लगने पर जांच टीम ने उन्हें दोबारा समन भेजा है. अधिकारियों को शक है कि इन “एडजस्टमेंट्स” के जरिए बैंक के शेयर की कीमत कृत्रिम रूप से बढ़ाई गई. इस दौरान कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने अंदरूनी जानकारी का लाभ उठाकर भारी मुनाफा कमाया.

विरोधाभासी बयानों की गहराई से जांच

प्रारंभिक आकलन के मुताबिक, ऐसा हो सकता है कि इनसाइडर ट्रेडिंग से सैकड़ों करोड़ रुपये का फायदा उठाया गया हो.जांच में यह भी सामने आया है कि बैंक ने खातों में दो अलग-अलग कैटेगरी के तहत एडजस्टमेंट्स किए, जिनका सीधा असर शेयर वैल्यू पर पड़ा. हालांकि कुछ पूर्व अधिकारी गड़बड़ी से इनकार कर रहे हैं. लेकिन ईओडब्ल्यू अब विरोधाभासी बयानों की गहराई से जांच कर रही है.

CEO और डिप्टी CEO ने दिया था इस्तीफा

सूत्रों का कहना है कि एजेंसी जल्द ही वित्तीय विश्लेषकों और कानूनी विशेषज्ञों से राय लेकर आगे की रणनीति तय करेगी. बता दें कि यह विवाद सबसे पहले बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में उजागर हुआ था और धीरे-धीरे माइक्रोफाइनेंस कारोबार तक फैल गया. इसी विवाद के बीच अप्रैल 2025 में सीईओ सुमंत कथपालिया और डिप्टी सीईओ अरुण खुराना ने इस्तीफा दिया था.

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