- पुणे में MVA की बैठक में मनसे के पदाधिकारियों की मौजूदगी से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है.
- मनसे अब ठाकरे गुट के साथ मिलकर आगामी चुनाव लड़ने की इच्छा जता रही है, जिससे विपक्षी समीकरण बदल सकते हैं.
- कांग्रेस ने मनसे और अजित पवार गुट के साथ गठबंधन की संभावनाओं को खारिज करते हुए MVA के प्रति प्रतिबद्धता जताई.
पुणे में शुक्रवार देर रात महाविकास आघाड़ी (MVA) की एक अहम बैठक हुई, जिसने शहर की राजनीतिक हलचल को और तेज कर दिया. बैठक की सबसे बड़ी खासियत रही- मनसे (MNS) के पदाधिकारियों की मौजूदगी. जिसने नए राजनीतिक संकेत देने शुरू कर दिए हैं. यह बैठक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) और कांग्रेस के बीच चल रही थी, लेकिन मनसे के नेताओं की एंट्री ने माहौल बदल दिया और संभावित गठजोड़ को लेकर अटकलें तेज कर दीं.
ठाकरे भाइयों की नजदीकियों का असर पुणे में भी दिखा
ठाकरे भाइयों के साथ आने के बाद, पुणे में भी मनसे की रणनीति में बदलाव देखा जा रहा है. मनसे अब ठाकरे गुट के साथ मिलकर आगामी चुनाव लड़ने की इच्छा जताती दिख रही है. यह कदम पुणे की राजनीति में नई उथल‑पुथल पैदा करने वाला माना जा रहा है, क्योंकि इससे विपक्षी समीकरण बदल सकते हैं.
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कांग्रेस ने साफ किया रुख: विचारधारा नहीं मिलती
कांग्रेस के पुणे शहर अध्यक्ष अरविंद शिंदे ने मनसे या एनसीपी (अजित पवार गुट) के साथ गठबंधन की संभावनाओं को खारिज करते हुए कहा कि 'चाहे मनसे हो या अजित पवार गुट, हमारी विचारधारा और नीतियां उनसे मेल नहीं खातीं. कांग्रेस केवल महाविकास आघाड़ी के प्रति प्रतिबद्ध है.' इस बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस फिलहाल अपने मौजूदा गठबंधन ढांचे में ही चुनाव लड़ने के मूड में है.
शांताई होटल में चली देर रात बैठक
यह बैठक पुणे के शांताई होटल में देर रात तक चली, जिसमें आगामी चुनावी रणनीति, सीट बंटवारा और लोकल लेवल पर गठबंधन की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा हुई.
मनसे की मौजूदगी के क्या मायने?
मनसे की अचानक मौजूदगी ने बैठक को और महत्वपूर्ण बना दिया और आने वाले दिनों में पुणे की राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं.
बता दें कि महाराष्ट्र की सियासत में दो भाइयों के बीच की दीवार अब टूट गई है. 20 साल बाद ठाकरे ब्रदर्स एक साथ आ गए हैं. बीएमसी चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने हाथ मिला लिया है. उद्धव और राज ठाकरे ने बुधवार को शिवसेना-मनसे गठबंधन का ऐलान किया. 20 साल पहले राज ठाकरे ने अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे से मतभेद के चलते शिवसेना छोड़ दी थी और एमएनएस बनाई थी.













