- महाराष्ट्र के रत्नागिरी ज़िले के मंडणगढ़ में नए न्यायालय भवन का उद्घाटन मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने किया
- न्यायालय भवन में डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा और उनके जीवन के महत्वपूर्ण भित्तिचित्रों का अनावरण भी हुआ
- भवन में आधुनिक न्यायालय कक्ष, डिजिटल अवसंरचना और न्यायिक कार्य की सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं
कोंकण क्षेत्र में न्याय तक पहुंच को सशक्त करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है. महाराष्ट्र राज्य के रत्नागिरी ज़िले के मंडणगढ़ में नव-निर्मित न्यायालय भवन का उद्घाटन सीजेआई बी आर गवई ने किया. इस अवसर पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति चंद्रशेखर, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, रत्नागिरी के पालक मंत्री उदय सामंत, न्यायमूर्ति मकरंद कर्णिक, न्यायमूर्ति माधव जामदार, न्यायपालिका के वरिष्ठ सदस्य और राज्यभर से आए विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे.
न्यायालय भवन में क्या कुछ खास
कार्यक्रम के दौरान डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा तथा उनके जीवन के प्रमुख पड़ावों को दर्शाने वाली भित्तिचित्रों (म्यूरल्स) का अनावरण भी मुख्य न्यायाधीश के हाथों किया गया. यह अत्याधुनिक न्यायालय भवन न्यायपालिका की उस अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जिसके तहत देश के सबसे दूरस्थ इलाकों तक सुलभ, समयबद्ध और प्रभावी न्याय सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है. भवन में आधुनिक न्यायालय कक्ष, डिजिटल अवसंरचना और न्यायिक कार्य की आवश्यकताओं के अनुरूप सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं.
सीजेआई ने क्या कुछ कहा
अपने संबोधन में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि “देश ने युद्ध और शांति दोनों में एकजुट रहकर प्रगति की है. हमने आपातकाल का दौर भी देखा, लेकिन हम मज़बूत और एकजुट रहे और यह संभव हुआ डॉ. भीमराव आंबेडकर के संविधान के कारण.” उन्होंने आगे कहा, “पिछले 22 वर्षों में न्यायाधीश के रूप में मैंने न्याय के विकेन्द्रीकरण के लिए काम किया है और कई न्यायिक अवसंरचना परियोजनाओं को पूरा कराया है. कोल्हापुर सर्किट बेंच और यह मंडणगढ़ न्यायालय भवन मेरे लिए विशेष संतोष का विषय हैं.”
सीजेआई ने सरकार का आभार जताया
सीजेआई गवई ने महाराष्ट्र सरकार को इस परियोजना को शीघ्रता से पूरा कराने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि हालांकि कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का पृथक्करण है, लेकिन जनता तक न्याय पहुंचाने के लिए न्यायपालिका को वित्तीय सहयोग कार्यपालिका से ही प्राप्त होता है. उन्होंने बताया कि हाल के महीनों में नासिक, नागपुर, कोल्हापुर और दर्यापुर में भी नए न्यायालय भवनों का उद्घाटन किया गया है, जिनकी गुणवत्ता पर उन्हें गर्व है. यह अवसर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि मंडणगढ़ तालुका का अंबडवे गांव भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर का पैतृक गांव है.
पीढ़ियों के लिए न्याय का प्रतीक और प्रेरणा
ऐसे क्षेत्र में आधुनिक न्यायालय भवन की स्थापना न केवल एक विकासात्मक उपलब्धि है, बल्कि डॉ. आंबेडकर के उस जीवन मिशन को श्रद्धांजलि भी है, जिसमें उन्होंने समाज के वंचित तबकों को सशक्त बनाने और न्याय के शासन को स्थापित करने का कार्य किया. स्थानीय अधिवक्ताओं, प्रशासनिक अधिकारियों, नागरिकों और सामाजिक संगठनों की उत्साही भागीदारी ने इस कार्यक्रम को विशेष बना दिया. सभी ने इस उम्मीद के साथ अपनी प्रसन्नता व्यक्त की कि यह नया न्यायालय भवन आने वाली पीढ़ियों के लिए न्याय का प्रतीक और प्रेरणा बनेगा.