Maharashtra: कर्मचारी भविष्य निधि में घोटाला, दफ्तर के ही कर्मचारियों ने फर्जीवाड़ा कर निकाले 21 करोड़ रुपये

इंटरनल जांच में पता चला है कि दफ़्तर के ही एक क्लर्क और कुछ कर्मचारियों ने फर्जीवाड़ा कर कर्मचारी भविष्य निधि के तकरीबन 21 करोड़ निकाल लिए. सूत्र बताते हैं कि इस मामले में 5 कर्मचारियों को निलंबित किया गया है और मास्टरमाइंड क्लर्क फरार है. 

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जानकारी के अनुसार, ईपीएफओ घोटाला मामले में 5 कर्मचारियों को निलंबित किया गया है

मुंबई:

Maharashtra: महाराष्‍ट्र (Maharashtra) की राजधानी मुंबई के  कांदिवली में EPFO यूनिट-2 के दफ्तर में करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप लगा है. EPFO सूत्रों के मुताबिक, दफ़्तर की इंटरनल जांच में पता चला है कि दफ़्तर के ही एक क्लर्क और कुछ कर्मचारियों ने फर्जीवाड़ा कर कर्मचारी भविष्य निधि के तकरीबन 21 करोड़ निकाल लिए. सूत्र बताते हैं कि इस मामले में 5 कर्मचारियों को निलंबित किया गया है और मास्टरमाइंड क्लर्क फरार है. अभी मामले में कोई FIR दर्ज नहीं हुई है. कांदिवली  EPFO दफ़्तर ने इस मसले पर अभी कोई भी बात करने से इनकार किया है.जानकारी के मुताबिक, साल 2020 और 2021 के कोरोना के संकट काल का फायदा उठाकर आरोपियों ने घोटाले को अंजाम दिया.लॉक डाउन की वजह से बहुत से लोगों की नौकरी चली गई थी. मजबूरी में लोगों ने भविष्य निधि से पैसे निकालने शुरू किए. 

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EPFO सूत्रों के मुताबिक, उस दौरान लोगों की परेशानी को देखते हुए नियमों में थोड़ी शिथिलता दी गई थी जिसका फायदा उठाते हुए आरोपी कर्मचारियों ने साल 2006 के पहले बंद हो चुकी कुछ कंपनियों के बोगस कर्मचारियों के नाम पर  2 से 3 लाख रुपये निकाले.अभी तक कि जांच में 817 बैंक खाते शक के दायरे में हैं जिनमें 21 करोड़ के करीब रुपये ट्रांसफर हुए हैं. ये भी पता चला है कि आरोपियों ने जान-बूझकर एक खाते से 5 लाख रुपये से कम की रकम निकाली ताकि ऊपरी अधिकारियों की अनुमति न लेना पड़े लेकिन सवाल यह उठता है कि  बंद हो चुकी पुरानी कम्पनियां, जिनका सेटलमेंट किया जा चुका था, के अकॉउंट का एक्सेस क्लर्क या कर्मचारियों को कैसे मिला ?  

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EPFO सूत्रों के मुताबिक, आरोपियों ने PF पूल रकम से गबन किया है  इसलिए इस घोटाले का असर किसी खाता धारक पर न होकर EPFO पर होगा. ये एक तरहं से  बैंक फ्रॉड जैसा है.सूत्रों से ये भी पता चला है कि मामले में अभी तक कोई अपराध दर्ज नही हुआ है. लेकिन इंटरनल जांच पूरी होने के बाद सीबीआई में शिकायत की जा सकती है.

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