Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र के सियासी संकट को लेकर जारी घटनाक्रम के अंतर्गत बुधवार को उद्धव ठाकरे के सीएम पद से इस्तीफे के बाद शिवसेना सांसद संजय राउत की ओर से किए गए ट्वीट पर बागी गुट के विधायक दीपक केसरकर ने पलटवार किया है. दरअसल, संजय राउत ने एक स्केच ट्वीट किया है. जिसके साथ उन्होंने लिखा कि, "वास्तव में ऐसा ही हुआ ". राउत ने जो स्केच ट्वीट किया उसमें एक व्यक्ति के पीठ पर चोट के निशान नजर आ रहे हैं. इस ट्वीट के जरिए संजय राउत ने पार्टी के बागी विधायकों पर निशाना साधा है. राउत के इस ट्वीट पर बागी विधायक केसरकर ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है, "पीठ में छुरा घोंपने क बात आप (राउत) न करें."
केसरकर ने मीडिया से बात करके हुए कहा, "हम सभी जानते हैं कि महाराष्ट्र में क्या हो रहा है. हम कोई जश्न नहीं मना रहे हैं." उन्होंने कहा, "हम कभी भी सीएम को नाराज नहीं करना चाहते थे और कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से लड़ते हुए हमें अपने ही नेता से लड़ना पड़ा. हम पहले भी कहते रहे हैं कि हमारी मूल सहयोगी बीजेपी है. हमने एक साथ चुनाव लड़ा था लेकिन बीच में हमारे बीच दरार पैदा करने की कोशिश की गई. विभागों को लेकर अटकलें निराधार हैं, अभी हमने यहां विधायकों की बैठक की और अब शिंदे साहब (एकनाथ शिंदे) मुंबई जा रहे हैं. "
केसरकर ने कहा, "विभागों को लेकर अटकलें निराधार हैं और इस बारे में अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है. हममें से कोई भी विधायक इस (विभाग के) बारे में नहीं सोच रहा है. वे विचारधारा को लेकर हमारे साथ हैं. " उन्होंने कहा, "मैं संजय राउत के बारे में कुछ नहीं बोलूंगा जिन्होंने हम पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया है. पीठ में छुरा किसने ? हमने बीजेपी के साथ चुनाव लड़ा लेकिन कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई. हमारे खिलाफ शिवसेना कैडर को जुटाने की कोशिश की गई."
बागी विधायक केसरकर ने कहा, "राउत जितना कम बोलेंगे, उतना ही बेहतर होगा. हमारी लड़ाई विभाग को लेकर नहीं है. जब ऐसी स्थिति आई तो हम सभी परिवार के प्रमुख (पार्टी प्रमुख) के पास गए लेकिन उन्होंने फैसले में देरी की. राज्यसभा के चुनाव में एनसीपी के वोट हमारे हिस्से में नहीं आए. यह बात संजय राउत ने भी कही थी. उद्धव ठाकरे ने कहा था कि मैं शिवसैनिकों को राज्यसभा में भेजूंगा लेकिन हमारे सहयोगियों ने दगा किया. इस स्थिति में उद्धव ठाकरे को तुरंत की कार्रवाई करनी चाहिए थी. जहां तक उद्धव ठाकरे की बात है तो शिवसेना में कोई भी ठाकरे परिवार के खिलाफ नहीं है. ठाकरे गुट के कुछ विधायकों की ओर से एकनाथ शिंदे को पार्टी से हटाने के प्रयास किए गए थे. "उन्होंने कहा, "हमने उद्धव को सीधा ऑफर दिया था, एमवीए छोड़ दीजिए हम वापस आ जाएंगे लेकिन उन्होंने हमारी बात को स्वीकार नहीं किया. हमने उद्धव ठाकरे को धोखा नहीं दिया, उनके प्रति हमारे दिल में अभी भी प्यार और सम्मान है. हमारी लड़ाई विचारधारा को लेकर है."
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