- महाराष्ट्र के पांच नगर निगमों ने 15 अगस्त को मीट बैन और बूचड़खाने बंद करने का आदेश जारी किया है.
- सीएम फडणवीस ने कहा कि 1988 के पुराने जीआर के आधार पर कुछ नगर निगम ये आदेश जारी कर रहे हैं.
- सीएम बोले- सरकार यह नहीं देखती या कहती है कि कौन क्या खाए. हमारे पास और भी बहुत काम हैं.
महाराष्ट्र में कुछ नगर निगमों के 15 अगस्त को मीट पर बैन और बूचड़खाने बंद करने के आदेश पर विवाद गहरा गया है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पर सफाई देते हुए कहा है कि इस तरह का निर्णय 1988 से राज्य में लागू है. राज्य सरकार ने कोई नया आदेश नहीं निकाला है. पिछली सरकार का आदेश ही चला आ रहा है.
सीएम बोले, मुझे भी जानकारी नहीं थी
सीएम फडणवीस से जब 15 अगस्त को मीट बैन के महानगर पालिकाओं के आदेश के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे भी इसकी जानकारी नहीं थी, मीडिया से पता चला. मैंने कई महानगर पालिकाओं से पूछा कि ऐसा निर्णय क्यों लिया तो उन्होंने बताया कि 1988 में सरकार ने जीआर (सरकारी संकल्प) निकाला हुआ है. हर साल वो उसी पुराने जीआर के आधार पर ऐसा निर्णय लेते हैं. अधिकारियों ने मुझे पिछली उद्धव ठाकरे सरकार के आदेश की कॉपी भी भेजी. उसे जल्द मीडिया के सामने दिखाऊंगा.
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि सरकार यह नहीं देखती या कहती है कि कौन क्या खाए. सरकार के पास करने के लिए और भी बहुत काम हैं. उन्होंने उन लोगों की भी आलोचना की जो कह रहे हैं कि शाकाहारी खाने वाले नपुंसक हो रहे हैं. सीएम ने इसे मूर्खतापूर्ण बताया और कहा कि हर किसी को अपनी पसंद का खाना खाने का अधिकार है.
बता दें कि महाराष्ट्र के पांच नगर निगमों की तरफ से 15 अगस्त को मीट पर बैन का आदेश जारी किया जा चुका है. इनमें कल्याण डोंबिवली, नागपुर, छत्रपति संभाजीनगर, मालेगांव और नासिक नगर निगम शामिल हैं.
ऐसे गहराया मीट बैन का विवाद
- 4 अगस्त - कल्याण डोंबिवली नगर निगम ने मीट बैन का आदेश जारी किया.
- 6 अगस्त - कल्याण डोंबिवली नगर निगम ने आदेश की प्रेस विज्ञप्ति मीडिया में प्रसारित की.
- 10 अगस्त - एनसीपी (शरद पवार) के नेता जितेंद्र आव्हाड ने मीट बैन पर सवाल उठाया.
- 11 अगस्त - नागपुर नगर निगम ने मीट बैन का आदेश जारी किया.
- 11 अगस्त - छत्रपति संभाजीनगर नगर निगम ने आदेश जारी किया.
- 12 अगस्त - मालेगांव नगर निगम ने इसी तरह का आदेश निकाला.
- 13 अगस्त - नासिक नगर निगम ने भी आदेश जारी कर दिया.
विपक्ष का वार, बीजेपी का पलटवार
एनसीपी (शरद पवार) के नेता जितेंद्र आव्हाड ने X पर पोस्ट में कहा था कि ये तो हद हो गई. आप कौन होते हैं ये तय करने वाले कि लोगों को किस दिन क्या खाना चाहिए? राजनीतिक विवाद के बीच बीजेपी ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि राज्य की कुछ नगर पालिकाओं ने 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) पर बूचड़खाने और मांस की दुकानें बंद करने का निर्णय लिया है, लेकिन यह निर्णय आज का नहीं है. यह निर्णय 12 मई 1988 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लिया था और यह तभी से लागू है.
AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "सुनने में आ रहा है कि हिंदुस्तान के कई नगर निगमों ने 15 अगस्त को बूचड़खाने और मांस की दुकानें बंद रखने का आदेश दिया है. दुर्भाग्य से, ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम ने भी ऐसा ही आदेश जारी किया है. यह असंवैधानिक है.
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा, "इस तरह का बैन लगाना गलत है. बड़े शहरों में कई जातियों और धर्मों के लोग रहते हैं. अगर यह भावनात्मक मुद्दा है, तो लोग इसे (प्रतिबंध को) एक दिन के लिए स्वीकार कर लेते हैं, लेकिन अगर आप महाराष्ट्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ऐसे आदेश लागू करते हैं, तो यह मुश्किल है."
शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने कहा, "हमारे घर में नवरात्रि में भी प्रसाद में झींगा और मछली होती है क्योंकि यह हमारी परंपरा है. यह (मीट बैन) धर्म और राष्ट्रीय हित का मामला नहीं है... इस मामले में कल्याण-डोंबिवली के आयुक्त को निलंबित कर देना चाहिए.
एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने कांग्रेस काल में मांस पर प्रतिबंध की शुरुआत के दावों पर कहा कि शरद पवार 1995 के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री थे. 30 साल पहले की कमियों को कब तक आगे बढ़ाते रहोगे? खुद फैसला लेना चाहिए.
शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद संजय राउत ने इस मसले पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि आप महाराष्ट्र को नपुंसक बना रहे हैं! दाल-चावल, श्रीखंड-पूरी खाकर युद्ध नहीं लड़ा जाता है.”