- महाराष्ट्र में हिंदी भाषा की अनिवार्यता पर सियासत तेज हो गई है.
- राज्य सरकार हिंदी भाषा की अनिवार्यता के फैसले पर पीछे हटी.
- विधानसभा में विपक्षी दल महा विकास अघाड़ी ने सरकार को घेरा
- शिवसेना और मनसे राज्य की महायुति सरकार पर हमलावर
महाराष्ट्र में हिंदी भाषा की अनिवार्यता को लेकर जमकर सियासत हो रही है. विपक्षी दल लगातार इस मुद्दे पर महायुति को घेर रहे हैं. राज्य में हिंदी को लेकर तेज हो रहे विरोध को देखते हुए कल महाराष्ट्र सरकार ने तीन भाषा नीति से जुड़े अपने 16 और 17 अप्रैल को जारी दो आदेश (GR) रद्द कर दिए. लेकिन आज महाराष्ट्र विधानसभा में भी इस मुद्दे पर राज्य सरकार को विरोध झेलना पड़ रहा है. महा विकास अघाड़ी के विधायक हिंदी थोपने के लिए महायुति सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे हैं. उन्होंने टोपी पहन रखी है जिस पर लिखा है, "मी मराठी". महा विकास के विधायक हाथों में पोस्टर लहरा रहे हैं, जिनमें लिखा है कि मराठी मेरा अभिमान है.
मनसे और शिवसेना क्या बोली
इस मुद्दे पर शिवसेना नेता मनीषा कायंदे ने कहा कि उद्धव ठाकरे का दोहरा चरित्र उजागर हुआ, वे छात्रों के मन में भ्रम पैदा कर रहे थे, इसलिए सरकार ने इसे रोक दिया है. हम राज ठाकरे के राजनीतिक रुख को जानते हैं, वे उद्धव की तरह हिंदुत्व पर अड़े हुए हैं. वहीं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के संस्थापक राज ठाकरे ने रविवार को कहा कि सरकार ने पहली कक्षा से तीन भाषाएं पढ़ाने के बहाने हिंदी भाषा थोपने के अपने फैसले को मराठी लोगों के विरोध के कारण वापस लिया है.
महाराष्ट्र में हिंदी पर क्यों विवाद
फडणवीस सरकार ने 16 अप्रैल को एक सरकारी आदेश जारी किया था, जिसमें अंग्रेजी और मराठी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाया गया था. हालांकि, विरोध बढ़ने पर सरकार ने 17 जून को संशोधित सरकारी आदेश जारी किया, जिसमें हिंदी को वैकल्पिक भाषा बनाया गया. विपक्षी दलों - शिवसेना (उबाठा), मनसे और राकांपा (एसपी) ने इस कदम की आलोचना की, जिन्होंने इसे महाराष्ट्र में हिंदी को ‘‘थोपा जाना'' करार दिया.
‘त्रि-भाषा' नीति पर सरकारी आदेश रद्द
महाराष्ट्र के स्कूलों में पहली कक्षा से हिंदी भाषा को शामिल करने के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच रविवार को राज्य मंत्रिमंडल ने ‘त्रि-भाषा' नीति पर सरकारी आदेश को रद्द कर दिया. राज्य विधानमंडल के मानसून सत्र की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया को संबोधित करते हुए भाषा नीति के कार्यान्वयन और आगे की राह सुझाने के लिए शिक्षाविद् नरेन्द्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने की भी घोषणा की. समिति ने इस मुद्दे का अध्ययन और रिपोर्ट तैयार करने के लिए तीन महीने का समय मांगा है.
भाषा विवाद पर फडणवीस ने उद्धव को घेरा
फडणवीस ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री पद पर रहने के दौरान उद्धव ठाकरे ने कक्षा 1 से 12 तक त्रि-भाषा नीति लागू करने के लिए डॉ. रघुनाथ माशेलकर समिति की सिफारिशों को मान लिया था और नीति के कार्यान्वयन पर एक समिति गठित की थी. फडणवीस ने कहा, ‘‘राज्य मंत्रिमंडल ने पहली कक्षा से ‘त्रि-भाषा' नीति के क्रियान्वयन के संबंध में अप्रैल और जून में जारी दो सरकारी आदेश (जीआर) वापस लेने का निर्णय लिया है. (त्रि-भाषा नीति के) क्रियान्वयन की सिफारिश के लिए डॉ. नरेन्द्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी.''