महाराष्ट्र ओलिंपिक संघ (Maharashtra Olympic Association) के महासचिव नमदेव शिरगांवकर को चुनाव से ठीक पहले पुणे सत्र न्यायालय से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने उन्हें अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail Protection) दे दी है, जिससे अब वे 2 नवंबर को होने वाले ओलिंपिक संघ के चुनाव में हिस्सा ले सकेंगे. दरअसल, पुणे पुलिस ने 28 अक्टूबर को शिरगांवकर के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसमें उन पर सरकारी धन के दुरुपयोग और वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
क्या है मामला?
पुलिस के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार ने ओलिंपिक संघ को विभिन्न राष्ट्रीय खेलों में खिलाड़ियों की भागीदारी के लिए कुल ₹12.45 करोड़ रुपये की राशि जारी की थी. इसमें से ₹3.5 करोड़ रुपये गोवा नेशनल गेम्स (अक्टूबर 2023) और ₹4.95 करोड़ रुपये उत्तराखंड नेशनल गेम्स (जनवरी 2025) के लिए दिए गए थे.
शिकायत संदीप उत्तमराव भोंदवे, कार्याध्यक्ष महाराष्ट्र राज्य कुस्ती संघ, ने दर्ज कराई थी. उनका आरोप है कि महासचिव शिरगांवकर ने इन फंड्स का पूरा हिसाब नहीं दिया और रकम को अपने करीबी सहयोगियों व रिश्तेदारों से जुड़ी संस्थाओं के माध्यम से ग़लत ढंग से खर्च किया गया.
खेल व युवक सेवा संचालनालय ने कई बार उन्हें ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की याद दिलाई, लेकिन उन्होंने समय पर रिपोर्ट नहीं दी.26 सितंबर को विभाग ने उन्हें 3 अक्टूबर तक वित्तीय खाते पेश करने का नोटिस भेजा था, लेकिन तय समयसीमा बीत जाने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद 27 अक्टूबर को कुस्ती संघ के सदस्यों ने पुणे पुलिस आयुक्तालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.
कोर्ट में क्या हुआ?
जब मामला अदालत पहुंचा तो शिरगांवकर की ओर से एडवोकेट प्रशांत पाटिल ने पक्ष रखा. उन्होंने अदालत को बताया कि यह पूरा मामला दस्तावेज़ों पर आधारित है और शिरगांवकर ने जांच एजेंसी को सभी जरूरी दस्तावेज पहले ही सौंप दिए हैं.पाटिल ने यह भी कहा कि महासचिव के रूप में शिरगांवकर ने गुजरात में हुए 36वें राष्ट्रीय खेलों और गोवा में हुए 37वें राष्ट्रीय खेलों की ऑडिट रिपोर्ट पहले ही जमा कर दी है. जबकि उत्तराखंड में होने वाले 38वें राष्ट्रीय खेलों के लिए महाराष्ट्र सरकार ने संघ को दो महीने का अतिरिक्त समय दिया है. उन्होंने दलील दी कि शिरगांवकर की पुलिस हिरासत में पूछताछ की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सभी सबूत पहले से ही पुलिस विभाग की अभिरक्षा में हैं.
कोर्ट का फैसला
सत्र न्यायाधीश ने एडवोकेट प्रशांत पाटिल की दलीलों को मानते हुए शिरगांवकर को अग्रिम जमानत दे दी.कोर्ट ने साफ कहा कि पुलिस जब चाहे उन्हें पूछताछ के लिए बुला सकती है, लेकिन इसके लिए कम से कम 48 घंटे पहले नोटिस देना जरूरी होगा.साथ ही, शिरगांवकर को तभी पुलिस स्टेशन में हाज़िर होना होगा जब उन्हें बुलाया जाएगा.














