मुंबई में 3 साल के लिए 7 पेंग्विन पर बीएमसी खर्च करेगी 15 करोड़ रुपये, विपक्ष उठा रहा सवाल

2016 में दक्षिण कोरिया से लाए गए यह पेंग्विन चर्चा में इसलिए हैं क्योंकि कोविड काल में बीएमसी इनपर करोड़ों खर्च करने जा रही है.

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मुंबई:

कोरोना के चलते जहां अर्थव्यवस्था चरमरा गई है और कई जगहों पर पैसों की कटौती की जा रही है, तो वहीं बीएमसी मुंबई के रानी बाग में मौजूद 7 पेंग्विन पर 3 साल में 15 करोड़ रोये खर्च करने जा रही है. जिसका मतलब है कि प्रत्येक दिन हर एक पेंग्विन पर करीब 19,569 रुपए खर्च होंगे. विपक्ष अब इसपर सवाल उठा रहा है.

मुंबई के प्रसिद्ध रानी बाग में मौजूद पेंग्विन अब सुर्खियों में हैं. 2016 में दक्षिण कोरिया से लाए गए यह पेंग्विन चर्चा में इसलिए हैं क्योंकि कोविड काल में बीएमसी इनपर करोड़ों खर्च करने जा रही है. दरअसल बीएमसी ने अगले तीन साल तक इन पेंग्विन की देखभाल के लिए 15 करोड़ 26 लाख रुपये का टेंडर निकाला है. विपक्ष अब इसपर सवाल उठा रहा है.

बीएमसी में विरोधी पक्ष नेता रवि राजा कहते हैं, 'कॉस्ट कटिंग बीएमसी को करना ज़रूरी है. 15 करोड़ खर्च हो रहा है. हर महीने 45 लाख खर्च किया जा रहा है. इसमें कॉस्ट कम हो सकते हैं. लेकिन महानगरपालिका इसे देख नहीं रही है. यह पैसा मुंबईकरों का है जो यह इस्तेमाल कर रहे हैं.'

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सत्तापक्ष विपक्ष के कटघरे में इसलिए भी है क्योंकि साल 2018 से सितंबर 2021 तक इन पेंग्विन पर 11.5 करोड रुपये खर्च किए गए हैं. अब अगले तीन साल तक इनपर 15,26,23,720 रुपये खर्च करने की योजना है. यह पैसे इनके देखरेख, एयर कंडीशनिंग, मेंटेनेंस पर खर्च किये जाएंगे. यह खर्च उस समय हो रहा है जब बीएमसी के पास पैसों की तंगी है, कई प्रोजेक्ट पैसों के कारण ठप हैं. बीएमसी स्कूलों के रखरखाव के लिए 150 करोड़ के प्रोजेक्ट को होल्ड पर रखा गया. अक्टूबर 2021 से सड़कों की मरम्मत शुरू होनी थी, जिसके लिए 1200 करोड़ रुपये खर्च होने थे, उसे भी होल्ड पर रखा गया है. लेकिन बीएमसी हर रोज़ प्रत्येक पेंग्विन पर 19,569 रुपये खर्च करेगी.

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विपक्ष की ओर से उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए मुंबई की महापौर ने इस विवाद को राजनैतिक करार कर इस खर्च को सही बताया. मुंबई की महापौर किशोरी पेडनेकर ने कहा, 'हर एक बात पर राजनीति करना, खर्च बताना सही नहीं है. नियोजन, आयोजन बीएमसी कर रही है. हमें भी लग रहा है कि कितना कम कर सकते हैं, इसपर भी जायज़ा शुरू है. इन्हें हर बात पर राजनीति करनी है. पेंग्विन मरा तो क्यों मरा, मेंटेनेंस हुआ तो क्यों हुआ.'

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साल 2020 में हुए एक सर्वे में पता चला कि भारत में महीने की औसतन वेतन 32,800 रुपये है. जबकि एक पेंग्विन पर हर रोज़ साढ़े 19 हज़ार रुपये खर्च करने की तैयारी है. इसमें एक बड़ा सवाल यह है कि जब बीएमसी का कहना है कि उनके पास पैसे नहीं हैं, कई प्रोजेक्ट में कटौती भी की गई है, तो क्या उसी तरह कम पैसों में इनकी देखरेख नहीं कि जा सकती? और क्या अब हमेशा इसी तरह सालों करोड़ों रुपये इन पेंग्विन पर खर्च होंगे.

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