लातूर नगर निगम में जन्म प्रमाणपत्रों को लेकर एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है. हाल ही में जारी किए गए 2,257 जन्म प्रमाणपत्रों को प्रशासन ने रद्द कर दिया है, जिसके चलते अब महाराष्ट्र में एक व्यापक जांच की शुरुआत हो चुकी है.
इन प्रमाणपत्रों को लातूर के तहसील कार्यालय और जिलाधिकारी के निर्देशों पर जारी किया गया था. प्रारंभिक जांच में पाया गया कि कई प्रमाणपत्रों में जरूरी दस्तावेजों और प्रक्रियाओं को दरकिनार कर अवैध तरीके से प्रमाणपत्र जारी किए गए. इस मामले को गंभीर मानते हुए लातूर पुलिस ने जांच की गति तेज कर दी है और जिन अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है, उनकी जवाबदेही तय की जा रही है.
इस घोटाले को भाजपा नेता किरीट सोमैया की शिकायत के बाद लातूर पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई और तत्पश्चात नगर निगम ने इन प्रमाणपत्रों को रद्द करने की कार्रवाई की. सोमैया का दावा है कि केवल लातूर ही नहीं, महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में करीब 50,000 फर्जी जन्म प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं, जिनकी जांच अब राज्य स्तर पर शुरू हो चुकी है.
बताया जा रहा है कि ये फर्जी प्रमाणपत्र ज़्यादातर नायब तहसीलदार स्तर के अधिकारियों द्वारा जारी किए गए हैं. दस्तावेजों की वैधता की अनदेखी और बिना सत्यापन प्रमाणपत्र जारी करना, कानून व्यवस्था और नागरिक डेटा की शुद्धता को सीधा प्रभावित करता है.
राज्य सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में प्रमाणपत्रों की समीक्षा करें और संदिग्ध मामलों की पहचान कर कार्रवाई सुनिश्चित करें.