स्कूलों में छात्रों की पिटाई और उन्हें बुरी तरह से धमकाने के मामले थम नहीं रहे हैं. मुंबई (Mumbai) के सेक्रेड हार्ट स्कूल (Sacred Heart School) से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां पर स्कूल के डायरेक्टर ने एक छात्र को बुरी तरह पीटा और स्कूल से निकालने की धमकी दी. जिससे आहत 11वीं के छात्र ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली. पुलिस ने स्कूल के डायरेक्टर को गिरफ्तार कर लिया. बाद में उसे 6 दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया है.
कल्याण के सेक्रेड हार्ट स्कूल में छात्र अनीश ने स्कूल प्रशासन द्वारा स्कूल से निकाले जाने की धमकी देने के बाद खुद को मौत के घाट उतार लिया.
अनीश के पिता ने कहा कि स्कूल में हुई पिटाई और स्कूल न आने की धमकी के चलते उनके बेटे ने इतना बड़ा कदम उठाया. उन्होंने कहा कि आरोपी अलवीन एंथोनी पर सख्त कार्रवाई हो और उसे फांसी की सजा मिलनी चाहिए.
अनीश के साथ दो अन्य छात्रों की की थी पिटाई
सोशल मीडिया के एक पोस्ट पर अनीश और उसके दो अन्य साथियों ने टिप्पणी की थी, जिसे लेकर स्कूल संचालक एंथोनी ने तीनों छात्रों को अपने कार्यालय में बुलाया और बुरी तरह पिटाई की. उन्होंने छात्रों को धमकी दी कि वे अगले दिन स्कूल न आएं और उनके लिविंग सर्टिफिकेट उनके घर भेजे जाएंगे.
स्कूलों में काउंसलर की नियुक्ति की मांग
महाराष्ट्र राज्य शिक्षक परिषद ने भी इस मामले में सख्त कार्रवाई करने और सभी स्कूलों में बच्चों के लिए काउंसलर का गठन करने की मांग की है.
महाराष्ट्र राज्य शिक्षक परिषद के प्रेसिडेंट शिवनाथ डराडे ने कहा कि कल्याण में घटित घटना बहुत ज्यादा दुखदायक है. स्कूल के ट्रस्टी का इस प्रकार बच्चों की पिटाई करना बिलकुल सही नहीं है. इसलिए बच्चों के सुपरविजन के लिए टीचर्स और प्रिंसिपल्स को काम करना चाहिए, न कि डायरेक्टर को. सरकार द्वारा इस पूरे मामले में सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए और हर 3 महीने में इन स्कूलों के निरीक्षण के लिए टीम का गठन किया जाना चाहिए. हर स्कूल में बच्चों की संख्या के आधार पर काउंसलर की नियुक्ति की जानी चाहिए. यह नियम सरकारी और प्राइवेट सभी स्कूलों के लिए लागू होना चाहिए.
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक
मनोचिकित्सक का कहना है कि अक्सर जो कारण छोटे लगते हैं, वह छोटे होते नहीं है और ऐसे मामलों को गंभीरता से लेना चाहिए. मनोचिकित्सक हरीश शेट्टी ने कहा कि आजकल के बच्चों में सहनशीलता और तकलीफ को मात देने की ताकत काफी कम है. इसके चलते बच्चों में स्ट्रेस भी काफी ज्यादा होता है. उन्होंने कहा कि पढ़ाई, करियर और भविष्य को लेकर उनमें काफी स्ट्रेस होता है, जिसके चलते आजकल बच्चों में आत्महत्या के केसेस काफी बढ़ गए हैं.
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