Save Baby Anika: दुर्लभ बीमारी से जूझ रही 'बेबी अनिका', इलाज के लिए पीड़ित परिवार को जुटाने हैं 9 करोड़ रुपए

Campaign For Crowd Funding: स्थानीय लोगों द्वारा शुरू किए गए परोपकारी समूह ने ‘टीम बेबी अनिका' नाम से इलाज खर्च के 9 करोड़ रुपए जुटाने के लिए अभियान शुरू किया है. पेश से ट्रैवल एजेंट मासूम के पिता प्रवीण शर्मा को बेटी के इलाज के लिए जरूरी 9 करोड़ रुपए में से 2.75 करोड़ रुपए जुटाने में सफल हुए हैं.

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SAVE BABY ANIKA CAMPAIGN: CROWD FUNDING FOR 3 YEAR OLD GIRL IS BATTLING A RARE DISEASE

Campaign To Save Baby Anika: मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में दुर्लभ बीमारी से जूझ रही एक 3 वर्षीय मासूम का इलाज खर्च जुटाने में पिता मजूबर है. स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) टाइप 2 नामक आनुवांशिक बीमारी से जूझ रही मासूम की जिंदगी बचाने के लिए पिता को 9 करोड़ रुपए की जरूरत है, जिसके लिए पैसा जुटाने के लिए स्थानीय लोगों के समूह ने एक अभियान शुरू किया है, जिससे अब तक पौने तीन करोड़ रुपए जुटाए जा चुके हैं.

स्थानीय लोगों द्वारा शुरू किए गए परोपकारी समूह ने ‘टीम बेबी अनिका' नाम से इलाज खर्च के 9 करोड़ रुपए जुटाने के लिए अभियान शुरू किया है. पेश से ट्रैवल एजेंट मासूम के पिता प्रवीण शर्मा को बेटी के इलाज के लिए जरूरी 9 करोड़ रुपए में से 2.75 करोड़ रुपए जुटाने में सफल हुए हैं.

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स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-2 बीमारी से जूझ रही है मासूम

पीड़ित पिता प्रणीण शर्मा ने बताया कि दुर्लभ स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-2 नामक बीमारी से ग्रसित उनकी बेटी अनिका के लिए 9 करोड़ रुपए की दरकार है. इतनी बड़ी धनराशि अमेरिका से एक इंजेक्शन मंगाने में खर्च होनी है. यह इंजेक्शन उसे दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती अनिका को लगाया जाना है.

टीम बेबी अनिका की मदद के लिए जारी किया गया क्यू-आर कोड

‘टीम बेबी अनिका' की ओर से जारी किया गया है क्यूआर कोड 

गौरतलब है सोमवार को दुर्लभ बीमारी से जूझ रही अनिका का तीसरा जन्मदिन शहर के मनाया गया. इस दौरान कई आम लोगों ने आगे आकर बच्ची के इलाज में आर्थिक मदद की. मासूम पिता की मदद के लिए ‘टीम बेबी अनिका' की ओर से क्यूआर कोड भी जारी किया गया है, जिससे लोग धनराशि का डिजिटली ट्रांसफर कर सकते हैं. 

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बकौल पिता, ‘अब तक हम मेरी बेटी के इलाज के लिए करीब 2.75 करोड़ रुपये जुटा चुके हैं. इस धनराशि में सरकार ने भी हमारी मदद की है, हमें पूरी उम्मीद है कि सबके सहयोग से हम बच्ची के इलाज की पूरी करीब 9 करोड़ रुपए की धनराशि जुटा लेंगे.''

धीरे-धीरे नष्ट होने लगते हैं रीढ़ की हड्डी में मौजूद ‘मोटर न्यूरॉन' 

एसएमए यानी तंत्रिका-मांसपेशीय रोग में रीढ़ की हड्डी में मौजूद ‘मोटर न्यूरॉन' धीरे-धीरे नष्ट होने लगते हैं, जिससे मांसपेशियां कमजोर होती जाती हैं और उनका क्षय होने लगता है. मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में पाई जाने वाली खास तंत्रिका कोशिकाएं ही दिमाग से मांसपेशियों तक सिग्नल पहुंचाती हैं, जिनमें सांस लेना, निगलना और बोलना शामिल हैं.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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