Dharamveer Bharati Love Story: एक लेखक जो अपने शब्दों के जादू से मोहब्बत का खूबसूरत संसार गढ़ता है, जिसकी कहानी के हर पन्ने पर कुछ है तो सिर्फ प्यार. बात आंसुओं की हो तो वो आंसू भी इश्क के नाम पर बहे और अगर तकरार भी हुई तो जुदा होती मोहब्बत को बचाने के लिए ही हुई. मोहब्बत की स्याही में डूबी कलम के ऐसे धनी साहित्यकार की जिंदगी भी प्यार से लबरेज ही होगी. ऐसा ही लगता है, लेकिन गुनाहों का देवता जैसा सुंदर उपन्यास लिखने वाले महान साहित्यकार धर्मवीर भारती का पहला प्यार इस पैमाने पर खरा नहीं उतरा. उनका पहला प्यार, पहली शादी किसी बुरे ख्वाब की तरह रहा और फिर चकनाचूर हो गया.
पहला प्यार, पहली शादी
एक गुनाहों का देवता और दूसरा रेत की मछली. गुनाहों का देवता लिखी धर्मवीर भारती ने और रेत की मछली लिखी उनकी पहली पत्नी कांता भारती ने. दोनों में प्यार है. लेकिन एक में मिठास है तो दूसरी में मोहब्बत का कड़वापन है. साहित्य जगत में हमेशा ये भी कहा जाता रहा कि धर्मवीर भारती की गुनाहों का देवता में जो सुधा है, वही उनकी कांता है. जिसे अपने मन में बसाकर उन्होंने ये कहानी लिखी. कांता कोहली धर्मवीर भारती की पहली पत्नी थी. कांता, धर्मवीर भारती के गुरु धीरेंद्र वर्मा की बेटी थीं. उनसे साहित्य की गहराई समझते समझते धर्मवीर भारती प्यार की गहराइयों में भी उतरे कि अपने उपन्यास की सुधा को कांता के भीतर ही देखने लगे. लेकिन उनके उपन्यास से इतर बिछोह को सहन नहीं किया बल्कि दोनों ने शादी कर ली.
दूसरा प्यार और जुदाई
अपनी इस प्यार से धर्मवीर भारती का एक माह में ही मोहभंग हो गया. कांता जब मां बनने वाली थीं तब उनकी देख रेख की धर्मवीर भारती की ही शिष्या पुष्पा शर्मा से. कहते हैं पुष्पा से प्यार हुआ तो धर्मवीर भारती बहुत उलझन में थे कि वो क्या करें. प्यार की कसमें तो वो पुष्पा के साथ भी खा ही चुके थे. फिर एक दिन दिन कांता और धर्मवीर भारती का रिश्ता टूट गया और धर्मवीर भारती ने पुष्पा शर्मा से शादी कर ली. पुष्पा खुद एक लेखिका थीं. दोनों की तीन बच्चे हुए जिनके नाम पारमिता, किशंकू और प्रज्ञा रखे गए.
रेत की मछली और जिंदगी का सच
गुनाहों की देवता की सुधा अगर धर्मवीर भारती की कांता मानी जाती हैं तो रेत की मछली को उनकी लव लाइफ से जोड़ कर ही देखा जाता है. रेत की मछली उपन्यास को कांता भारती ने लिखा. वैसे गुनाहों का देवता और रेत की मछली की तुलना करें तो गुनाहों का देवता उस पर भारी पड़ेगी. लेकिन रेत की मछली सीधे आपके दिल को छू जाएगी. इस कहानी को कांता ने बिलकुल साफ और सीधे अंदाज में लिखा है. न किसी चित्रण में कोई लाग लपेट है न किसी संवाद को घुमा फिराकर लिखा गया है.
इस उपन्यास में कांता लिखती हैं कि शोभन एक लड़की को बहन कहा करता था. लेकिन उसे कभी बहन की नजर से नहीं देखा. शादी के बाद भी वो अपनी कथित बहन से रिश्ते बनाता और पत्नी को विवश करता कि वो इस सहवास को देखे. इस उपन्यास को कई लोगों ने कांता भारती के निजी अनुभवों पर आधारित उपन्यास की संज्ञा भी दी. लेकिन पुष्टि न कभी धर्मवीर भारती ने की न कभी कांता ने की. दोनों ने इसे नकारा भी नहीं. जिसके बाद ये मान लिया गया कि दोनों का रिश्ता टूटने की शायद कुछ ऐसे ही कटु अनुभव रहे हों.