Parenting Tips: माता-पिता और उनकी परवरिश बच्चे के व्यवहार और भविष्य को संवारने का काम करती है. लेकिन, कई बार पैरैंट्स यह नहीं समझ पाते कि उन्हें अपने बच्चे के साथ सख्ती दिखानी है, उसका दोस्त बनना है, उसे बड़े भाई या बहन जैसा साथ देना है या फिर गलती पर डांटना है या नहीं. माता-पिता और उनकी परवरिश (Parenting) के कई प्रकार होते हैं जिसे बच्चे को बड़ा करते हुए माता-पिता (Parents) को जान लेना जरूरी है. इससे आपको अपने पैरेंटिंग के तरीके को सही पैमाने पर आंकने में भी मदद मिलेगी और आप जान पाएंगे आपका अपना पैरेंटिंग स्टाइल कितना अच्छा है और कितना नहीं.
पैरेंट्स और पैरेंटिंग स्टाइल्स | Parents And Parenting Styles
परमिसिव पैरेंटिंग
यह पैरेंटिंग का वो प्रकार है जिसमें माता-पिता बच्चों को उनके छोटे-बड़े निर्णय लेने देते हैं और बीच में तभी आते हैं जब कोई गंभीर परेशानी होती है. इसमें माता-पिता बच्चे (Child) के सही-गलत फैसलों पर टोकाटाकी नहीं करते. इसे बच्चे के पैरेंट से ज्यादा दोस्त बनना कहा जा सकता है.
पैरेटिंग का यह स्टाइल लंबे समय से चला आ रहा है और ज्यादातर घरों में देखने को भी मिलता है. माता-पिता बच्चे का हर फैसला खुद लेते हैं और बच्चों से यह आकांक्षा रखते हैं कि बच्चा उनकी हर बात माने. लेकिन, इस परवरिश से बड़े हुए बच्चों में अक्सर आत्मविश्वास की कमी देखी जाती है और वह अपनी बात रखना नहीं सीख पाते.
ऑथोरिटेटिव पैरेंट्स बच्चों के लिए नियम जरूर तय करते हैं लेकिन वे बच्चों की बात पर और उनके निर्णयों पर भी ध्यान देते हैं. इस पैरेटिंग में बच्चों का व्यवहार भी अच्छा रहता है, उन्हें अपने विचार माता-पिता के सामने रखने का मौका मिलता है और पैरेंट्स बच्चों के लिए एक अच्छे रोल मॉडल बनते हैं.
जैसाकि नाम से ही पता चलता है कि इस पैरेंटिंग में माता-पिता बच्चों के लिए नियम (Rules) तो बनाते हैं लेकिन उनके जीवन में खासा ध्यान नहीं देते. ज्यादातर कामकाजी माता-पिता की परवरिश इस तरह की देखने को मिलती है.
अगर आपने काजोल की फिल्म हेलिकोप्टर ईला देखी है तो आपको इस तरह की पैरेंटिंग के बारे में जरूर पता होगा. इस पैरेंटिंग स्टाइल (Parenting Style) में माता-पिता अपने बच्चे को लेकर जरूरत से ज्यादा प्रोटेक्टिव हो जाते हैं और बच्चों की जिंदगी में ओवपइनवोलव्ड हो जाते हैं. इससे बच्चे खुद को माता-पिता के चंगुल में फंसा हुआ समझते हैं.
इस पैरेंटिंग में माता-पिता अपने बच्चे से बेहद जुड़े रहते हैं. इसमें प्यारभरा माहौल जरूर रहता है लेकिन बच्चे लाड़-प्यार में बिगड़ भी सकते हैं. आसान भाषा में इसे लाड़-प्यार वाली पैरेंटिंग कहा जा सकता है.