Constipation Remedies: पेट से जुड़ी कई दिक्कतों में से एक है कब्ज. यह मल यानी स्टूल से जुड़ी दिक्कत है जो तब होती है जब व्यक्ति मलत्याग करने में दिक्कत होने लगती है. कब्ज में मल (Stool) कड़ा हो जाता है, घंटों तक बाथरूम में बैठे रहने के बाद भी पेट सही तरह से साफ नहीं हो पाता है और पेट में दर्द होने लगता है सो अलग. वहीं, बहुत से लोगों को यह समझने में दिक्कत होती है कि उन्हें सचमुच कब्ज हुई है या नहीं और अगर कब्ज हुई है तो इसका इलाज क्या करवाना है और किस तरह इसके शुरूआती लक्षण (Symotoms) पहचाने जा सकते हैं. ऐसे में सर गंगा राम अस्पताल, दिल्ली के डॉक्टर की बताई सलाह आपके काम आएगी. डॉ. नीरज धमीजा एक्सपर्ट सर्जिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट हैं. वे सर गंगा राम अस्पताल (Sir Ganga Ram Hospital) में बतौर सीनियर कंसल्टेंट कार्यरत हैं. डॉ. नीरज धमीजा अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से अक्सर ही सेहत से जुड़े टिप्स वगैरह शेयर करते रहते हैं. कब्ज को लेकर शेयर की गई अपनी रील सीरीज में उन्होंने पेट की इस दिक्कत के बारे में काफी कुछ बताया है.
कैसे पहचानें कब्ज के लक्षण | How To Identify Constipation Symptoms
डॉ. नीरज धमीजा का कहना है कि हमारा शरीर हमें कई तरह के संकेत देता है जिन्हें अक्सर ही हम इन संकेतों को पहचान नहीं पाते हैं. लेकिन, इन लक्षणों को समय रहते पहचानना बेहद जरूरी होता है. कब्ज के कुछ आम लक्षण हैं मल पास होने में दिक्कत होना, स्टूल यानी मल का सख्त हो जाना या सूखा हो जाना, पेट में भारीपन या दर्द और बार-बार पेट फूलना या गैस बनना. अगर इन लक्षणों को समय पर नहीं पहचाना गया तो यह आंतों की रूकावट जैसी गंभीर समस्याओं में भी बदल सकता है. डॉक्टर ने कहा कि अगर मल पुराना हो जाता है तो वह फ्रीज हो जाता है. इन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि कब्ज सिर्फ पेट ही नहीं बल्कि पूरे स्वास्थ्य की समस्या भी बन सकता है.
- कब्ज का इलाज मरीज की हिस्ट्री और इग्जामिनेशन से शुरू होता है. कब्ज होने पर डॉक्टर कुछ कॉमन टेस्ट (Test) करवाते हैं उनमें है एब्डॉमिनल एक्स रे जो आंतों में फंसे हुए स्टूल को दिखाता है.
- पेट का अल्ट्रासाउंड भी करवाया जाता है जिससे पेट में छिपी हुई बीमारियों को पकड़ सकता है.
- एक टेस्ट है कोलोनोस्कॉपी जिसमें हम आंतों को भीतर से देखते हैं. कोलोनोस्कॉपी और ट्रांसिट स्टडी की मदद से स्टूल आंतों में कितनी देर ठहरता है इसका पता लगाने में मदद मिलती है.
- डॉक्टर ने बताया कि कभी-कभी एडवांस केसेस में सीटी स्कैन भी करवाना पड़ता है. रियल लाइफ स्टेटिक्स दिखाते हैं कि 40 प्रतिशत मामलों में लाइफस्टाइल चेंजेस ही काफी होते हैं लेकिन 20 प्रतीशत केसेस जो गंभीर होते हैं उनमें जांच करवाने की जरूरत होती है और सही जांच ही सही इलाज की कुंजी है.
- डॉक्टर नीरज ने बताया कि कब्ज का इलाज सिर्फ दवा ही नहीं है बल्कि पेशेंट्स की जरूरत को समझकर ही उन्हें कब्ज से छुटकारा दिलाया जा सकता है.
- कब्ज के इलाज में डॉक्टर लाइफस्टाइल चेंजेस (Lifestyle Changes) को सबसे अहम बताते हैं. सही खानपान और एक्टिव लाइफस्टाइल बेहद जरूरी है.
- मेडिकल ऑप्शंस जैसे लैक्सेटिव्स का सेवन किया जा सकता है लेकिन ध्यान रखना जरूरी है कि ज्यादा इस्तेमाल से इनपर निर्भरता बढ़ सकती है. कभी-कभी सर्जिकल ऑप्शंस भी गंभीर मामलों में आजमाए जाते हैं.
- पोषक तत्वों की भूमिका को नजरअंदाज ना करें. पर्याप्त मात्रा में पानी पीना और फाइबर का सेवन आपको कब्ज से लड़ने में मदद करता है. फाइबर के अलावा, फ्लुइड्स यानी लिक्विड फूड्स ज्यादा लें और फिटनेस रूटीन को फॉलो करें.