Mental Health: मौत एक कड़वा सच है. इस ब्रह्मांड में जो आया है, उसके जाने का समय भी निश्चित है. मौत को कोई भी झुठला नहीं सकता है. इसलिए कहा जाता है कि जिंदगी चार दिनों की है और इसके खुलकर जीना चाहिए. मौत (Death) एक ऐसा रहस्य है, यह कब और कहां आ जाए किसी को नहीं मालूम है. कहते हैं कि जिंदगी बेवफा है एक दिन ठुकराएगी और मौत महबूबा है, जो अपने साथ ले जाएगी. मौत को लेकर वैज्ञानिकों (Scientist) ने कई रिसर्च भी की हैं. साथ ही वैज्ञानिकों ने मौत के अलग-अलग कारणों पर भी अध्ययन (Health Study) किया है. जब हम जिंदा होते हैं, तो सब कुछ हमारी आंखों के सामने होता है, लेकिन मरने के बाद क्या होता है और इंसान कहां जाता है, यह सब बातें तो होती रहती हैं.
लेकिन, क्या कभी आपने सोचा है कि मरते वक्त इंसान के दिमाग में किस तरह की बातें और क्या-क्या चलता है? इस विषय पर वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाला नया अध्ययन पेश किया है. वैज्ञानिकों ने आखिरकार यह मालूम ही कर लिया है कि इंसान मरते वक्त क्या-क्या सोचता है. आइए जानते हैं इस दिलचस्प अध्ययन के बारे में
मरते वक्त इंसान के दिमाग में चलने वाली बातें (Marte Waqt Insaan Ke Dimag Mein Chalne Wali Baatein)
- मरते वक्त इंसान के दिमाग में क्या-क्या चलता है, यह जानने के लिए वैज्ञानिकों ने एक 87 साल के बुजुर्ग, जोकि मिर्गी का मरीज है, पर एक एक्सपेरिमेंट किया है. वैज्ञानिकों ने इस बुजुर्ग के जरिए EEG मशीन से यह पता लगाया है कि इंसान मरते वक्त क्या-क्या सोचता है. EEG मशीन के जरिए वैज्ञानिकों ने मरते वक्त इंसान के दिमाग में चलने वाली हैरान कर देने वाली बातों को रिकॉर्ड किया है.
- इस मशीन के जरिए यह रिकॉर्ड किया गया है कि मरते वक्त भी इंसान के दिमाग में वही बातें चलती हैं, जो वो जिंदा रहते अपने सपनों में देखता है. वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इंसान मरने से पहले अपनी जिंदगी के उन तमाम पलों को याद करता है, जो उसने जिंदा रहते अपनों के साथ बिताए थे. वैज्ञानिकों का मानना है कि मौत के समय दिमाग में चलने वाली यह सभी तरंगे धीरे-धीरे शांत होने लगती हैं.
- मरने के वक्त इंसान के दिमाग में यह बात भी आती है कि वो उन लोगों से जरूर माफी मांगता है, जिसको उसने धोखा दिया हो या फिर उसका दिल दुखाया हो. मरने वक्त इंसान के मन में पश्चाताप के भाव भी आते हैं.
- इसके अलावा इंसान के दिमाग में मरने से पहले कुछ अधूरी ख्वाहिशें भी दौड़ने लगती हैं, जिनको वो पूरा करने की सोचता है. साथ ही जिंदगी के लिए और समय मिलने की कामना करता है.
- मरने के वक्त इंसान के दिमाग में यह भी आता है कि वह उन सभी रिश्तेदारों, यार दोस्त और परिवार के उन लोगों से मिलना और बातें करना चाहता है, जो उसके दिल के सबसे करीब होते हैं. मरते वक्त इंसान के दिमाग तेजी से भावुक होने लगता है.
- वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इंसान के मरते वक्त उसकी सभी इंद्रियां डिएक्टिव होने लगती है और काम करना बंद देती हैं. यहां तक कि इंसान अपनी बोलने की शक्ति से भी हाथ धो बैठता है. हालांकि वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि मरने के बाद इंसान के दिमाग में कुछ समय के लिए एक्टिविटी होती रहती है.
- वैज्ञानिकों की मानें तो, इंसान के मरने के 30 सेकंड तक उसका दिल और दिमाग एक्टिव रहता है, लेकिन शरीर दुनिया छोड़ चुका होता है. वैज्ञानिकों ने पाया है कि मरते वक्त दिमाग इतनी तेजी से काम करता है कि इंसान जिंदगी के आखिरी मिनटों में अपनी पूरी जिंदगी के एक-एक पल को आसानी से याद कर लेता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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