बड़े होने पर बच्चे ना भूल जाएं माता-पिता का त्याग और प्यार, इसलिए परवरिश में कुछ बातें सिखाना है जरूरी  

Parenting Tips: बढ़ते बच्चे अक्सर माता-पिता के त्याग और बलिदान को भूल जाते हैं और अपनी ही अलग दुनिया में रहने लगते हैं. आपके बच्चे ऐसे ना बनें इसके लिए उन्हें बचपन से ही दें सही परवरिश. 

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Ungrateful Children: बच्चों को एहसान फरामोश होने से रोकें इस तरह. 

Parenting Advice: बच्चों के लिए माता-पिता क्या कुछ नहीं करते, बच्चे के पैदा होने से लेकर उसके स्कूल में कदम रखने और बड़े होकर जीवन की गाड़ी खुद ब खुद चलाने तक की प्रक्रिया में माता-पिता बच्चे का हाथ थामे रखते हैं. कभी बच्चे की प्लेट भरने के लिए मां अपने हिस्से की रोटी दे देती है तो कभी पिता अपने लिए कपड़े ना लेकर बच्चों के लिए खिलौने ले आते हैं. जीवनभर ऐसे छोटे-छोटे ना जाने कितने ही त्याग माता-पिता (Parents) बच्चों के लिए करते हैं, लेकिन बच्चे बड़े होकर अक्सर यह सब भूलकर याद रखते हैं तो वो चीजें जो उन्हें माता-पिता देने में असमर्थ रहे हैं. अक्सर बच्चे (Children) माता-पिता से यह तक कह देते हैं कि आपने हमारे लिए किया ही क्या है. बच्चों की यह बातें परवरिश में की गई कुछ गलतियों का परिणाम हो सकती हैं. ऐसे में बच्चों को बचपन से ही कुछ ऐसी बातें सिखाई जानी चाहिए जो उन्हें माता-पिता और उनके त्याग व प्रेम के प्रति संवेदनशील बनाएं, एहसान भूल जाने वाला (Ungrateful) नहीं. 

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बच्चों को ना बनने दें एहसान फरामोश 

बच्चें माता-पिता की त्याग भावना को समझें इसके लिए उन्हें बचपन से मूल्यों की कद्र करना सिखाया जाना चाहिए, लेकिन कभी भी उनपर यह बात थोपनी नहीं चाहिए कि माता-पिता ने बच्चे के लिए क्या-कुछ किया है. इससे बच्चा चिढ़चिढ़ा होने लगता है. बच्चों को अच्छी बातें प्राकृतिक तौर पर सिखाई जाती हैं, उनपर थोपी नहीं जातीं. 

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बच्चे को दें अपना समय 

बच्चे के लिए किसी भी चीज से ज्यादा जरूरी माता-पिता का समय होता है. बच्चे को समय दें, उससे बातें करें और उस तक अपनी भावनाएं पहुंचाएं. बच्चा माता-पिता के साथ समय बिताकर एक अलग रिश्ता बनाता है जो उसे माता-पिता और उनके त्याग से अवगत भी कराता है और बच्चा अपने पैरेंट्स को भी बेहतर तरह से समझ पाता है. 

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सिखाएं पैसों की कद्र 

ऐसे अनेक माता-पिता हैं जो कामकाजी (Working Parents) होते हैं और घर में पैसों की कभी किल्लत नहीं आती. लेकिन, बच्चे को हर मुंह-मांगी चीज देने के चक्कर में वे बच्चे को पैसों की कद्र करना नहीं सिखा पाते. इससे बच्चा जब बड़ा होता है तो उसे कभी समझ नहीं आ पाता कि उसके पैरेंट्स किन कठिनाइयों से गुजरकर उसे ऐश की जिंदगी दे पाए हैं. 

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कभी मेहनत ना करना 

बच्चे जब अपना पूरा बचपन बिना मेहनत किए काट देते हैं तो उन्हें यह कभी समझ नहीं आता कि माता-पिता ने उन्हें बड़ा करने के लिए कितनी मेहनत की है. इसीलिए बचपन से ही बच्चे को मेहनत का पाठ पढ़ाना जरूरी है. पॉकेट मनी उतनी ही दें जितनी उसका खर्चा निकालने के लिए पर्याप्त हो, बच्चे को घर के काम भी कराएं, दादा-दादी की मदद करना सिखाएं और फिर उसे पॉकेट मनी (Pocket Money) दें. बच्चा बड़ा होता जाए तो उसे समर इंटर्नशिप्स वगैरह का हिस्सा बनाएं. 

दूसरों को समझना सिखाएं 

बच्चे को बचपन से ही सिखाएं कि अगर वो दूसरे व्यक्ति की जगह होता तो उसे कैसा महसूस होता. किसी और के दुख को समझना एक ऐसा गुण है जो बड़े-बड़ों में नहीं होता. बच्चा जब सम्मान और संवेग आदि सीखता है तो अपने माता-पिता के प्रति और जीवन में उसे जो कुछ मिला है उसके प्रति अधिक संवेदनशील भी होता है और अपनी चीजों की कद्र करना भी सीखता है. 

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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