Parenting Tips: बच्चे को बनाना चाहते हैं मेंटली और इमोशनली मजबूत तो इन 6 बातों का जरूर रखें ध्यान 

Parenting Tips In Hindi: कई बच्चे छोटी-छोटी बातों पर रो पड़ते हैं तो बहुत से ऐसे भी हैं जो हार का सामना करने से डरते हैं. ऐसे में माता-पिता बच्चों को इन कठिनाइयों से पार पाना सिखा सकते हैं.

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How To Make Children Emotionally Strong: कुछ तरीके बच्चे को इमोशनली स्ट्रोन्ग बनाने में करेंगे मदद. 

Parenting Tips: इमोशनली और मेंटली स्ट्रोन्ग होना ऐसी चीज है जिसपर अच्छे-अच्छे लोग भी काबू नहीं पा पाते हैं. लेकिन, जीवन में इमोशनली और मेंटली स्ट्रोन्ग (Mentally Strong) होना बेहद जरूरी है. अगर व्यक्ति अपने संवेगों पर काबू पाना नहीं सीखेगा, हार कर बैठ जाएगा, दिमाग से नकारात्मक विचारों को नहीं निकाल पाएगा और हर छोटी-बड़ी कठिनाई पर खुद को हारा हुआ महसूस करेगा तो जीवन की गाड़ी को धक्का लगाना मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में व्यक्ति का भविष्य और सफलता पर भी असर पड़ता है. अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा आगे बढ़ने से घबराता है, झेंपता है और उसे गुस्से या दुख जैसे इमोशंस (Emotions) को कंट्रोल करना नहीं आता है तो आप कुछ बातों को ध्यान में रखकर उसकी मदद कर सकते हैं. 

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बच्चे को इमोशनली और मेंटली स्ट्रोन्ग बनाने के तरीके 

फीलिंग्स एक्सप्रेस करना सिखाएं 

यह बेहद जरूरी है कि आप बच्चे को उसकी फीलिंग्स एक्सप्रेस करना सिखाएं. जब बच्चे अपनी भावनाएं मन के अंदर ही रखते हैं तो ये भावनाएं उसके बालमन को प्रभावित करने लगती हैं. वह दुखी होता है तो खुद में ही दुखी होता रहता है और चिड़चिड़ा होता है तो अंदर ही अंदर घुटता रहता है. 

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डर पर करने दीजिए बात 

कई माता-पिता (Parents) चाहते हैं उनका बच्चा जीवन की हर रेस में सबसे आगे रहे. ऐसे में वे उसे जीतना तो सिखाते हैं लेकिन हार से जुड़ी बच्चे की चिंता और झिझक को नहीं सुनते. यह जरूरी है कि पैरेंट्स बच्चे के डर को सुनें, उसे समझाएं कि डर के आगे ही जीत होती है और उसे डर पर काबू पाना सिखाएं. 

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बच्चे की बात सुनें 

आपको अपने बच्चे में यह विश्वास पैदा करना है कि वह आपसे आकर अपने मन की हर बात कह सके. जब बच्चा अपनी चिंताओं को आपसे साझा करेगा, अपनी तकलीफें कहेगा तो आप उनका हल उसे बता सकेंगे. इससे उसके मन-मस्तिष्ट का बोझ उतर जाएगा और उसे समझ आएगा कि किस तरह मुश्किलों से निपटा जाता है. 

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डांट-डंपटकर ना सिखाएं 

जब माता-पिता हर बात पर ही बच्चे को डांटने लगते हैं तो बच्चा इमोशनली मजबूत (Emotionally Strong) होने के बजाय कमजोर होता जाता है. उसके अंदर डर पनपने लगता है कि उसे फिर किसी गलती पर डांट ना पड़ जाए. डांट खाकर उसका पहला संवेग ही दुख होता है और वह समझ नहीं पाता कि कब उसके आंसू बहना शुरू हो जाते हैं. 

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सकारात्मक विचारों पर दें जोर 

माता-पिता होने के रूप में आपका यह कर्तव्य भी है कि आप बच्चे को सकारात्मक होना सिखाएं. अगर आपको लगता है कि बच्चे में हर छोटी-बड़ी चीज का डर बैठ रहा है तो उसे सिखाएं कि कैसे वह पॉजिटिव (Positive) रहकर मुश्किलों से पार पा सकता है. बच्चे ये सब माता-पिता से ही सीख पाते हैं. 

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