प्रतीकात्मक तस्वीर
फोन पर बात करते हुए ड्राइविंग करने पर पाबंदी लगाई जाती है क्योंकि इससे दुर्घटना होने का जोखिम रहता है, लेकिन एक नए अध्ययन ने चेताया है कि गाड़ी चलाते समय रेडियो सुनना भी काफी खतरनाक हो सकता है।
आयरलैंड के यूनिवर्सिटी कॉलेज कॉर्क के इस अध्ययन में शामिल गिलियन मर्फी ने बताया, गाड़ी चलाने के दौरान ध्यान हटाने वाली सभी गतिविधियां घातक हो सकती हैं। भले ही वह रेडियो सुनना हो या एक हाथ से फोन पर बातचीत करना।'
'पर्सेप्चुअल लोड थ्योरी ने किया साबित
इस शोध के लिए अध्ययनकर्ताओं ने 36 प्रतिभागियों पर सर्वेक्षण किया था। इस दौरान इन प्रतिभागियों से नियमित तौर पर ड्राइविंग संबंधित आदतों पर सवाल किए गए थे। शोधार्थियों ने ध्यान केंद्रित करने से जुड़ी 'पर्सेप्चुअल लोड थ्योरी' का इस्तेमाल करते हुए इसे वाहन चलाने से जोड़ा जहां ध्यान केंद्रित करने की सर्वाधिक जरूरत होती है। यह थ्योरी बताती है कि ध्यान केंद्रित करने की हमारी क्षमता की एक सीमा है। जैसे ही हम इसके अधिकतम का इस्तेमाल कर लेते हैं, हम किसी भी अन्य बात को ठीक से समझ नहीं पाते।
शोधार्थियों ने प्रतिभागियों को दो समूहों में बांटा। एक समूह को वाहन चलाते हुए रेडियो पर प्रसारित हो रही सामान्य बात सुनने के लिए कहा गया और दूसरे समूह को जटिल बात। निष्कर्ष में पाया गया कि सामान्य बात सुनने वालों का ध्यान ड्राइविंग से नहीं हटा जबकि जटिल बात सुनने वालों का ध्यान उसी में उलझ गया। यहां तक कि वे सड़क किनारे खड़े हाथी और गोरिल्ला जैसे विशाल जानवरों की मौजूदगी का भी अहसास नहीं कर सके।
यह निष्कर्ष ब्रिटेन के नटिंघम में आयोजित ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसाइटी सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए।
आयरलैंड के यूनिवर्सिटी कॉलेज कॉर्क के इस अध्ययन में शामिल गिलियन मर्फी ने बताया, गाड़ी चलाने के दौरान ध्यान हटाने वाली सभी गतिविधियां घातक हो सकती हैं। भले ही वह रेडियो सुनना हो या एक हाथ से फोन पर बातचीत करना।'
'पर्सेप्चुअल लोड थ्योरी ने किया साबित
इस शोध के लिए अध्ययनकर्ताओं ने 36 प्रतिभागियों पर सर्वेक्षण किया था। इस दौरान इन प्रतिभागियों से नियमित तौर पर ड्राइविंग संबंधित आदतों पर सवाल किए गए थे। शोधार्थियों ने ध्यान केंद्रित करने से जुड़ी 'पर्सेप्चुअल लोड थ्योरी' का इस्तेमाल करते हुए इसे वाहन चलाने से जोड़ा जहां ध्यान केंद्रित करने की सर्वाधिक जरूरत होती है। यह थ्योरी बताती है कि ध्यान केंद्रित करने की हमारी क्षमता की एक सीमा है। जैसे ही हम इसके अधिकतम का इस्तेमाल कर लेते हैं, हम किसी भी अन्य बात को ठीक से समझ नहीं पाते।
शोधार्थियों ने प्रतिभागियों को दो समूहों में बांटा। एक समूह को वाहन चलाते हुए रेडियो पर प्रसारित हो रही सामान्य बात सुनने के लिए कहा गया और दूसरे समूह को जटिल बात। निष्कर्ष में पाया गया कि सामान्य बात सुनने वालों का ध्यान ड्राइविंग से नहीं हटा जबकि जटिल बात सुनने वालों का ध्यान उसी में उलझ गया। यहां तक कि वे सड़क किनारे खड़े हाथी और गोरिल्ला जैसे विशाल जानवरों की मौजूदगी का भी अहसास नहीं कर सके।
यह निष्कर्ष ब्रिटेन के नटिंघम में आयोजित ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसाइटी सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए।
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