छोटे बच्चे को इस तरह नए भाई-बहन के साथ कराएं एडजस्ट, तालमेल बिठाने में नहीं होगी दिक्कत 

अक्सर ही छोटे बच्चों के लिए अपने नए भाई या बहन के साथ तालमेल बिठाना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में माता-पिता कुछ आम सी बातों को ध्यान में रखकर बच्चों को नए मेहमान की आदत डलवा सकते हैं. 

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घर आए नए बच्चे को इस तरह अपना बना पाएंगे छोटे बच्चे.

Parenting Tips: ज्यादातर माता-पिता बच्चों की प्लानिंग इस तरह करते हैं कि दो बच्चों में 3 से 4 साल का फर्क हो. जब घर में दूसरा बच्चा आता है तो पहला बच्चा भी बेहद छोटा ही होता है. ऐसे में बच्चे को अपने नए जन्मे भाई या बहन के साथ तालमेल बिठाने में दिक्कत होती है. पहले तो बच्चे को यही समझ नहीं आता कि घर में अचानक से यह नया बच्चा कौन आ गया है जो उसके माता-पिता (Parents) का पूरा ध्यान अपने ऊपर खींचे हुए है, इसके बाद बच्चे को अपनी जगह बांटने में दिक्कत होती है और कई बार उसे यह नया मेहमान बिल्कुल अच्छा नहीं लगता और वह बस इतना चाहता है कि उसका घर जैसा पहले था बिल्कुल वैसा ही हो जाए. ऐसे में माता-पिता के लिए अलग तरह की मुसीबत खड़ी हो जाती है. यहां ऐसे ही कुछ टिप्स और सलाह दी गई हैं जिन्हें ध्यान में रखकर पैरेंट्स अपने छोटे बच्चे को नए बच्चे को एक्सेप्ट करना और उसके साथ एडजस्ट करना सिखा सकते हैं. 

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जन्म से पहले से बदलावों से कराएं साझा - पैरेंट्स के लिए जरूरी है कि वे दूसरे बच्चे के पैदा होने से पहले अपने पहले बच्चे को उसकी आदत डलवाने की कोशिश करें. बच्चे को बताएं कि जल्द ही उसके साथ खेलने के लिए कोई छोटा भाई या बहन आने वाला है जो उसके साथ रहेगा, जिसे मम्मी-पापा का समय और प्यार भी मिलेगा. इस तरह बच्चा भी भाई या बहन के लिए खुद को तैयार कर पाएगा. 

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अच्छे से कराएं परिचय - अक्सर ही नए बच्चे के आते ही पैरेंट्स पहले बच्चे (First Baby) को दूर करने लगते हैं और बच्चे के करीब नहीं आने देते क्योंकि बच्चा बेहद छोटा होता है. लेकिन, नए बच्चे से अपने पहले बच्चे का सही तरह से परिचय कराना और सबकी निगरानी में उसे अपने छोटे भाई या बहन से बात करने के लिए कहना, अपने बारे में बताने के लिए कहना और उससे बच्चे के पास रहने देना ही चीजों को कंफर्टेबल बनाने लगता है. 

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दोनों को साथ में सुनाएं कहानियां - बच्चे को अपना नया भाई-बहन अपने बराबर ही लगे इसके लिए दोनों बच्चों को एकसाथ कहानी सुनाएं. कहानी नहीं तो दोनों बच्चों को साथ में लेकर बातें करें. इससे बच्चा अपने नए भाई-बहन (New Sibling) को बिल्कुल अपने जैसा ही समझता है. 

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बच्चे का ख्याल रखने की जिम्मेदारी दें - अपने पहले बच्चे को बड़ा भाई या बहन बनने का एहसास कराएं और समझाएं कि उसे ऐसा कुछ नहीं करना है कि उसके छोटे भाई-बहन को परेशानी हो. बच्चे जिस तरह अपने गुड्डे-गुड़ियों का ख्याल रखते हैं उसी तरह की केयर वे अपने भाई-बहन को लेकर भी दिखाने लगते हैं. लेकिन, ध्यान रहे कि दोनों बच्चे छोटे हैं इसीलिए हमेशा आपकी निगरानी में रहें. 

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