Healthy Tips: भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अपने खानपान का ध्यान रखना भूल जाते हैं. खासकर आज का युवा घर से ज्यादा बाहर का खाना नजर आता है. ऐसे में अपने खानपान को कैसे बैलेंस्ड रखें, क्या खाएं, क्या नहीं खाएं और खुद को किस तरह स्वस्थ रखें यह पता होना जरूरी है. खानपान अगर अच्छा ना हो तो इससे ना केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) भी ठीक रहता है. इसी बारे में एनडीटीवी युवा कॉन्क्लेव (NDTV Yuva Conclave) में अंबिका सिंह ने हेल्थ एंड वेलनेस एजुकेटर रव्या अरोड़ा और गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और सोशल इंफ्लुएसर डॉ. पाल मणिकम से बातचीत की. युवा को हेल्दी ईटिंग के बारे में कौनसी चीजें पता होनी जरूरी हैं और खानपान मानसिक स्वास्थ्य से किस तरह जुड़ा हुआ है, आइए जानते हैं.
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ईटिंग राइट क्या है, कैसा हो खानपान
युवाओं को ईटिंग राइट (Eating Right) यानी सही खानपान के बारे में समझाते हुए डॉ, पाल ने कहा, "सही खानपान छोटी उम्र से शुरू होता है. मुझे लगता है कि किसी को मुझे यह तब बताना चाहिए था जब मैं 15 साल का था. हम कई गट बैक्टीरिया के साथ पैदा होते हैं और हमारे जन्म लेने से पहले भी हमारे अंदर 100 ट्रिलियन गट बैक्टीरिया मौजूद होते हैं." वहीं, रव्या अरोड़ा कहती हैं कि न्यूट्रिशन सेहत को दुरुस्त रखने में अहम भूमिका निभाता है और इसीलिए न्यूट्रिशन यानी पोषण को प्रायोरटाइज करना बेहद जरूरी होता है. इसीलिए अच्छे पोषण और एक्सरसाइज को बैलेंस करना जरूरी है.
एक्सपर्ट्स से सवाल किया गया कि गट हेल्थ और मानसिक स्वास्थ्य का क्या कनेक्शन है. इसपर डॉक्टर पाल ने कहा, आपको अगर पिज्जा या बर्गर खाने की क्रेविंग होती है तो इस क्रेविंग में आपका दोष नहीं है बल्कि यह आपके शरीर के गंदे गट बैक्टीरियां हैं. जब आप किसी ऐप पर जाते हैं और बिरयानी ढूंढते हैं तो यह आपके गंदे गट बैक्टीरिया के कारण होता है. डॉ. पाल ने बताया की रिसर्च से और क्लीनिक में आने वाले एंजाइटी (Anxiety) और डिप्रेशन से यह भी समझ आया कि गट हेल्थ का इन दिक्कतों से स्ट्रोंग कनेक्शन है. इसीलिए हम एंजाइटी की दिक्कत के पेशेंट्स को मेडिकेशन के बजाय उनकी ईटिंग हैबिट्स को देखकर ऐसे फूड्स खाने के लिए देते हैं जिससे शरीर को वो केमिकल्स मिलेंगे जो अच्छा महसूस करने में मदद करेंगे.