Home Treatments For Acid Reflux : एसिड रिफ्लक्स जिसे आमतौर पर एसिडिटी की समस्या कहते हैं, बेहद आम है. ज्यादा ऑयली या मसालेदार खाना, रात में काफी देर से खाना इस परेशानी का का कारण हो सकता है. इससे सीने में जलन, खट्टी डकार और गले में दर्द जैसी परेशानियां होती हैं. डाइजेशन से जुड़ी ये परेशानी सेहत पर असर डालने के साथ साथ आपके डेली रूटीन के कामकाज पर भी असर डाल सकती है. लंबे समय तक एसिड रिफ्लक्स के कारण सेहत से जुड़ी गंभीर समस्याएं (Acid Reflux Se Kya Hota Hai ) हो सकती हैं. ऐसे में इससे बचने के लिए सही इलाज करवाना जरूरी है. हालांकि एसिड रिफ्लक्स से बचने के लिए कुछ उपायों की भी मदद ली सकती है. आइए जानते हैं क्या होता है एसिड रिफ्लक्स (Kaya Hota Hai Acid Reflux) कुछ ऐसे उपाय जिनसे बगैर दवा के भी एसिड रिफ्लक्स को कम करने में मिल सकती है मदद (Acid Reflux Se Bachne Ke Upay).
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क्यों होता है एसिड रिफ्लक्स | Why does acid reflux happen
फूड पाइप और पेट के बीच एक खास तरह की मसल्स होती है जिसे इसोफैगस स्फिंक्टर कहते हैं. यह फूड पाइप और पेट के बीच के मार्ग को कंट्रोल करती है. अगर यह पूरी तरह से बंद नहीं होती तो डाइजेशन के लिए पेट में बनने वाले एसिड और फूड वापस फूड पाइप में आ जाते हैं इसे गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स कहते हैं और एसिड के पीछे की ओर बहने को एसिड रिफ्लक्स कहते हैं. इसके कारण गले में खराश और आवाज बैठना जैसी परेशानी हो सकती है और मुंह का टेस्ट बिगड़ सकता है.
एसिड रिफ्लक्स से राहत पाने के उपाय | How to get rid of acid reflux
धीरे-धीरे चबाकर और कम खाएं
- पेट के बहुत भरे रहने पर रिफ्लक्स ज्यादा होने का खतरा रहता है. इससे बचने के लिए ग्रेजिंग अपनाई जा सकती है. इसमें दिन में तीन बार खाने की जगह ज्यादा बार लेकिन मात्रा में कम खाना खाया जाता है. इस उपाय से एसिड रिफ्लक्स से राहत मिल सकती है.
कुछ खास खाने से बचें
- एसिड रिफ्लक्स की समस्या होने पर हल्का खाना खाना चाहिए और कुछ खास तरह की चीजों को डाइट में शामिल करने से बचना खहिए. इनमें पुदीना, फैट वाली चीजें, स्पाइसी चीजें, टमाटर, प्याज, लहसुन, कॉफी, चाय,चॉकलेट और अल्कोहल शामिल हैं.
कोल्ड ड्रिंक्स से रहे दूर
- जब भी हमें डकार आती है तो एसिड इसोफैगस में चला जाता है. इसलिए एसिड रिफ्लक्स की समस्या होने पर कार्बोनेटेड ड्रिंक नही पीना चाहिए.
डिनर के तीन घंटे बाद सोएं
- जब हम खड़े या बैठे रहते हैं तो एसिड को पेट में रहता है और उसके ऊपर आने की परेशानी कम होती है. इसलिए सोने के तीन घंटे पहले डिनर कर लेना चाहिए. दोपहर में भीर लंच करने के तुरंत बाद के झपकी लेने से बचें.
खाने के बाद एक्सरसाइज से बचें
- खाना खाने के बाद कुछ घंटों तक एक्सरसाइज करने से बचना चाहिए. खासकर जोर जोर से चलने या हिलने डुलने वाले और आगे झुकने वाले एक्सरसाइज नहीं करने चाहिए. रात के खाने के बाद टहलने में कोई परेशानी नहीं है
सिर को कुछ ऊपर रखकर सोएं
- आइडल रूप से बिस्तर ऐसा होना चाहिए कि सिर पैरों की तुलना में छह से आठ इंच ऊपर हो. इसके लिए बिस्तर के सिरहाने को सहारा देने वाले बेड राइजर लगा सकते हैं. फोम वेज सपोर्ट का भी यूज किया जा सकते है पर तकियों को एक के ऊपर एक रखकर सोना ठीक नहीं होगा.
वजन कम करें
- बहुत ज्यादा वेट बढ़ने के कारण निचले एसोफेजियल स्फिंक्टर को सहारा देने वाली मसल्स को फैला देता है, जिससे स्फिंक्टर को बंद रखने वाला दबाव कम हो जाता है और रिफ्लक्स की परेशानी होती है. इससे बचने के लिए वेट पर कंट्रोल रखना चाहिए. इसके अलावा स्मोकिंग से भी बचना चाहिए. निकोटीन का भी असर स्फिंक्टर पर पड़ता है.
दवाओं का असर
- कुछ दवाएं जैसे पोस्टमेनोपॉजल एस्ट्रोजन, ट्राइसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट और सूजनरोधी दर्द निवारक दवाएं स्फिंक्टर को असर डालती हैं. जबकि हड्डियों की डेंसिटी बढ़ाने वाली एलेंड्रोनेट (फोसामैक्स), आईबैंड्रोनेट (बोनिवा), या राइसेड्रोनेट (एक्टोनेल) दवाएं ग्रासनली में जलन पैदा कर सकती हैं.