Work-Life Balance: नौकरी करने वालों के लिए जिंदगी अक्सर ही भागदौड़ भरी हो जाती है. काम के 8 से 9 घंटे और ऑफिस (Office) से आने-जाने में लगने वाले वक्ते के आगे महसूस होता है कि जिंदगी का एक बढ़ा हिस्सा सिर्फ कमाई में लग रहा है और जो बाकी समय बचता है उसमें भी घर के काम और आराम से हटकर कुछ हो नहीं पाता. अगर आप भी अपने काम और निजी जीवन में सामंजस्य बैठाने में दिक्कत महसूस करते हैं तो यहां दिए गए टिप्स आपके बेहद काम आ सकते हैं. इन आदतों (Habits) को अपनाना बिल्कुल मुश्किल भी नहीं है और आपको वर्क-लाइफ बैलेंस बनाने में मदद भी मिलेगी.
वर्क-लाइफ बैंलेस बनाने वाली आदतें | Habits To Achieve Work-Life Balance
बनाएं बाउंडरीवर्क और लाइफ इन दोनों के बीच बाउंडरी बनाना बेहद जरूरी है. जैसे, ऑफिस में अपने निजी काम ना लाएं और इसी तरह घर में अपने पर्सनल स्पेस को प्रोफेशनल स्पेस ना बनाएं. बाउंडरी की लाइन एकबार हल्की होती है तो फिर उन्हें गहराना मुश्किल हो जाता है.
जब आप घर पर अपने परिवार और बच्चों के साथ हों या फिर बाहर दोस्तों के साथ घूम रहे हों तो हर समय अपने काम के बारे में सोचते ना रहें. काम को काम की जगह तक ही सीमित रखने की बात नहीं है बल्कि जहां आपको खुश होना चाहिए वहां काम की टेंशन (Tension) लेने की है. ऐसा करने से बचें और दोस्तों या परिवार के साथ खुशी के वक्त को एंजॉय करें.
जब हम नौकरी के साथ-साथ अपनी हॉबी पर ध्यान देते हैं तो हमें सिर्फ पैसे कमाना ही जिंदगी का मकसद नहीं लगता. अपने मनपसंद काम जिंदगी को और बेहतर बनाते हैं और कुछ ना कुछ नया करने की मन में उत्सुकता बनी रहती है.
काम के बीच-बीच में उठकर टहलने की कोशिश करें, कभी-कभी दोस्तों से बात करें या फिर थोड़ी देर रिलैक्स भी करें. आप हर समय सिर्फ काम में ही लगे रहेंगे तो काम बोझ लगने लगेगा और जब काम बोझ लगने लगता है तो सेहत शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों से प्रभावित होती है.
जब घर से करें कामअगर आप घर से काम (Work From Home) करते हैं तो अपने काम के घंटों के भीतर ही काम खत्म करने की कोशिश करें और काम को पूरा दिन ना खींचे. काम के लिए अलग जगह बना लें और फिर जिस तरह ऑफिस में काम करते हैं बिल्कुल उसी तरह करें.
ना कहना सीखेंकई बार व्यक्ति अपना वर्क-लाइफ बैलेंस खुद ही बिगाड़ लेता है क्योंकि वह किसी काम के लिए मना नहीं करता और अपनी क्षमता और समय से ज्यादा काम हाथ में ले लेता है. ऐसा करने से बचें. जब जरूरत हो तो काम को ना करना भी सीखें.
अक्सर देखा जाता है कि आप अपने बॉस से प्रोफेशनल के बजाय पर्सनल रिलेशनशिप बना लेते हैं तो आपके काम के घंटे बढ़ते चले जाते हैं. इससे कभी तो आपको काम के बीच में ही घूमने-फिरने मिल जाता है लेकिन घूमने-फिरने के समय भी काम मिल सकता है. ऐसे में बेहतर है कि आप बॉस के दोस्त बनने के बजाय एंप्लोई बनकर ही काम करें और दोस्ती को ऑफिस से बाहर के लिए छोड़ दें.
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