भीड़ से इस तरह अलग आगे निकलेगा आपका बच्चा, परवरिश की ये 5 आदतें बच्चे को बनाती हैं कामयाब

बच्चे की परवरिश ही उसे जीवन में सफल बनाने में बड़ी भूमिका निभाती है. इस तरह बच्चे जीवन में आगे बढ़ते हैं और बाकी बच्चों से आगे भी निकल जाते हैं. 

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माता-पिता की ये आदतें बनाती हैं बच्चे को सफल. 

Parenting Tips: जीवन में व्यक्ति आगे बढ़ता है तो उसकी सफलता की नींव कहीं ना कहीं बचपन में ही रखी जा चुकी होती है. अक्सर वही बच्चे बड़े होकर भीड़ से आगे बढ़ते हैं जिन्हें बचपन से ही सफलता (Success) का पाठ पढ़ाया जाता है, दृढ़ निश्चयी बनाया जाता है, कभी हार ना मानने का जज्बा उनमें होता है और गिरकर भी जो खड़े होना और दौड़ना जानते हैं. माता-पिता (Parents) की हमेशा ही यह कोशिश रहती है कि वे अपने बच्चों को ना सिर्फ सफल बल्कि एक अच्छा इंसान भी बनते देखें. यहां ऐसे ही कुछ पैरेंटिंग टिप्स दिए जा रहे हैं जो बच्चे को आगे बढ़ने में मदद करते हैं और उसे बेहतर इंसान भी बनाते हैं.

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बच्चे को सपल बनाने वाले पैरेंटिंग टिप्स 

क्रिएटिविटी को बढ़ावा देना - इंसान की क्रिएटिविटी ही उसे बाकी सभी से अलग बनाती है. अगर आपका बच्चा किसी काम में निपुण है, उसमें जिज्ञासा है और वह कुछ ना कुछ नया करना पसंद करता है तो उसकी क्रिएटिविटी को आगे बढ़ाएं. बच्चे की क्रिएटिविटी उसे प्रोब्लम सोल्विंग और आउट ऑफ द बॉक्स सोचने वाला बनाती है. 

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सिखाएं मैनेजमेंट स्किल्स - किस काम को पहले करना है, किस काम को बाद में करना है, क्या काम नहीं करना है, किस काम को करने में कितना समय देना है और समय को किस तरह बांटना है यह सभी बच्चे में टाइम मैनेजमेंट (Time Management) से ही आता है. इसीलिए बच्चे को टाइम मैनेजमेंट सिखाना जरूरी होता है और यह आदत उनमें बचपन से ही डाली जानी चाहिए. 

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इमोशनल इंटेलिंजेस सिखाना - जो लोग अपने इमोशंस पर काबू करना सीख लेते हैं वे खुदको सफल ही नहीं बल्कि खुश भी पाते हैं. वहीं, जिन लोगों में रिलेशनशिप्स बिल्ड करने की आदत होती है, दूसरों के प्रति सद्भावना होती है और जो अपने इमोशंस पर कंट्रोल कर सकते हैं वे बिना रुके आगे बढ़ते हैं. बच्चें किसी से ईर्ष्या ना करें और ना ही अपने गुस्से को खुद पर हावी करें, यह वे इमोशनल इंटेलिंजेंस से ही सीख सकते हैं. 

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तुलना ना करना - माता-पिता होने के नाते आपको बच्चे की किसी से भी तुलना करने से परहेज तो करना ही है, साथ ही बच्चे को भी यही सिखाना है कि वह कभी किसी और से खुद की तुलना (Comparison) ना करे. बच्चे को यह समझाया जाना जरूरी है कि उसका मकसद जीवन में आगे बढ़ना है किसी और को पीछे करना नहीं. 

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खुद के फैसले लेना सिखाना - जायजतौर पर पैरेंट्स यही चाहते हैं कि उनका बच्चा हमेशा उसी राह को चुने जो उसके लिए सही हो और इसीलिए बच्चे के फैसले वे खुद लेना ज्यादा सही समझते हैं. लेकिन, बच्चा जब तक खुद के फैसले लेना नहीं सीखेगा तबतक वह कभी खुद सही और गलत को नहीं समझ पाएगा. बच्चा खुद अपने काम कर सके, खुद अपनी मुश्किलों का हल ढूंढ सके और खुद किसी काम को करने के लिए कदम उठा सके यह उसे अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र छोड़कर ही हो पाएगा. 

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