Parenting: माता-पिता बच्चे के पहले गुरू जरूर कहे जाते हैं लेकिन जो काम और गुण बच्चे दादा-दादी से सीखते हैं वो सबसे अलग और खास कहे जाते हैं. दादा-दादी (Grandparents) की बच्चों पर एक अलग ही छाप पड़ती है. बच्चे अपने दादा-दादी के साथ हफ्तेभर भी रहते हैं तो उनकी बहुत सी आदतों को अपना लेते हैं. लेकिन, आजकल के एकल परिवारों में दादा-दादी से बच्चे कई-कई महीनों तक नहीं मिल पाते हैं. ऐसे में दादा-नानी की अच्छी आदतें और उनके गुण बच्चों में डालने की जिम्मेदारी माता-पिता पर आ जाती है. यहां जानिए ग्रेंडपैरेंट्स के कौनसे गुण बच्चों को सिखाए जाने चाहिए.
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बच्चों को दादा-दादी से सीखनी चाहिए ये 5 बातें | 5 Things Children Should Learn From Grandparents
कल्पना करनाजो कहानियां दादा-दादी बच्चों को सुनाते हैं उनका कोई मुकाबला नहीं है. बच्चे बड़े हो जाते हैं फिर भी दादी की कहानियां याद करते हैं. दादा-दादी की सुनाई हुई कहानियां काल्पनिक होती हैं और उनकी कल्पना शक्ति को दिखाती हैं. बच्चे दादा-दादी से कल्पना करना सीख सकते हैं. यह गुण कलात्मकता भी बढ़ाता है.
दादा-दादी बिना किसी स्वार्थ के बच्चों से और उनके बच्चों से प्यार करते हैं. ये निस्वार्थ भाव बहुत कम लोगों में देखने को मिलता है. दादा-दादी की अपने पोते-पोतियों से किसी तरह की अपेक्षा भी नहीं होती बल्कि वे उनके अपने पास होने भर से खुश हो जाते हैं. यह निस्वार्थ भाव बच्चे दादा-दादी से सीख सकते हैं.
दादा-दादी को अक्सर ही देखा जाता है कि वे बहुत कम ही पैसे खर्च करते हैं या फिर सिर्फ उन चीजों पर पैसे खर्चना सही समझते हैं जिन चीजों की सचमुच जरूरत होती है. माता-पिता ऐसा नहीं करते. माता-पिता की उम्र ही ऐसी होती है जिसमें वे खुद पर खर्च करने से झिझकते नहीं है जबकि दादा-दादी की उम्र उन्हें पैसों की कद्र करना या कहें पैसे संभालना सिखा देती है. पैसे की जरूरत (Importance Of Money) और महत्व को बच्चे अपने ग्रेंडपैरेंट्स से बेहतर तरह से सीखते-समझते हैं.
कोई छोटा-बड़ा नहीं होता और ना सिर्फ इंसान बल्कि जानवरों को भी सम्मान और प्रेम दिया जाना चाहिए यह दादा-दादी से सीखा जा सकता है. दादा-दादी अपने पोते-पोतियों (Grandchildren) को यह गुण सिखाते हैं और अगर वे पास ना हों तो फिर माता-पिता उनमें ये गुण डाल सकते हैं.
बच्चे दादा-दादी से ईमानदारी सीखते हैं. जीवन के हर पहलू में ईमानदारी व्यक्ति को आगे लेकर जाती है. दादा-दादी के समय में ईमानदारी एक ऐसी चीज थी जिससे वे कभी समझौता नहीं करते थे. यह गुण बच्चों में डाला नहीं जाता है बल्कि उनके सामने उदाहरण बनकर उन्हें सिखाया जाता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.