Kolkata Gangrape: दोस्तों के लिए बदलवाया टाइमटेबल, छात्रा पर हर वक्त नजर.. मोनोजीत की हैवानियत के पीछे की पूरी कहानी पढ़िए

मोनोजीत मिश्रा उर्फ “मैंगो दा”, गैंगरेप केस का मुख्य आरोपी पूरे कॉलेज में डर का पर्याय बन गया था, लॉ कॉलेज के छात्रों में इतना खौफ पैदा कर चुका था कि उसके सामने लोगों की घिग्घी बंध जाती थी. कॉलेज में तो एक-दो बार नहीं बल्कि कई बार उसके खिलाफ कई शिकायतें हुईं, मगर मजाल कि कोई ठोस कार्रवाई हो जाए.

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Kolkata College Rape Case: पुलिस की गिरफ्त में गैंगरेप के आरोपी
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  • कोलकाता के लॉ कॉलेज में छात्रा के साथ गैंगरेप मामले में खुल रही सिस्टम की पोल
  • गैंगरेप का मुख्य आरोपी मोनोजीत मिश्रा कॉलेज में डर का दूसरा नाम बन गया था
  • कॉलेज प्रशासन ने आरोपी की ताकत के चलते क्लास टाइमिंग में बदलाव किए
  • आरोपी को राजनीतिक सहारा मिलने की चर्चा है, जिसने उसे बेलगाम बना दिया था
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कोलकाता:

कोलकाता में पहले आरजीकर रेप एंड मर्डर केस ने पूरे देश को दहला दिया था. अब हाल ही में कोलकाता से ही एक लॉ कॉलेज में एक छात्रा के साथ हुए गैंगरेप ने हर किसी को झकझोर दिया है. यह मामला सिर्फ हैवानियत की हदें पार करने वाला ही नहीं, बल्कि उस ढीले और पक्षपाती सिस्टम का नतीजा भी है जिसने इस अपराध के मुख्य आरोपी मोनोजीत मिश्रा को लगातार बेलगाम होते देखा और फिर भी चुप्पी साधे रखी. बताया जाता है कि आरोपी को राजनीतिक सह भी हासिल थी, जिसके दम पर उसके जेहन में दूर-दूर तक कोई डर नहीं था.

आरोपी मोनोजीत मिश्रा का खौफ

मोनोजीत मिश्रा उर्फ “मैंगो दा”, गैंगरेप केस का मुख्य आरोपी पूरे कॉलेज में डर का पर्याय बन गया था, लॉ कॉलेज के छात्रों में इतना खौफ पैदा कर चुका था कि उसके सामने लोगों की घिग्घी बंध जाती थी. कॉलेज में तो एक-दो बार नहीं बल्कि कई बार उसके खिलाफ कई शिकायतें हुईं, मगर मजाल कि कोई ठोस कार्रवाई हो जाए. नतीजा ये हुआ है कि धीरे-धीरे उसके हौसले इस कदर बुलंद हो गए कि आखिर उसने अपने साथियों के साथ मिलकर कॉलेज की ही एक छात्रा के साथ गैंगरेप जैसा जघन्य अपराध कर डाला. अब जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, मोनोजीत के काले कारनामों को चिट्ठा सामने आ रहा है.

मोनोजीत ने बदलवा दी क्लास की टाइमिंग

Times of India की रिपोर्ट के मुताबिक, गैंगरेप केस के मुख्य आरोपू मोनोजीत मिश्रा कॉलेज में इतना पावरफुल हो गया था कि उसने कथित तौर पर कॉलेज की क्लास टाइमिंग्स तक बदलवा दीं, क्योंकि उसके दोस्तों को इतनी सुबह क्लास करना पंसद नहीं था. पहले कॉलेज का क्लास शेड्यूल सुबह 7 बजे से दोपहर 2 बजे तक चलता था, जो पिछले साल जून तक लागू था. लेकिन अचानक से कॉलेज ने शेड्यूल बदल दिया और पहली क्लास सुबह 7.30 बजे शुरू होने लगी. लेकिन पिछले साल अगस्त में फिर से बदलाव कर दिया गया और इस बार पहली क्लास सुबह 9 बजे से शुरू हुईं. अब जाहिर सी बात है कि ये सवाल उठ रहे हैं कि जब कॉलेज एक मॉर्निंग कॉलेज है, तो क्लास सुबह 9 बजे कैसे शुरू हो सकती हैं? आखिरकार मंगलवार को कॉलेज प्रशासन ने फिर से पुराने रूटीन — सुबह 7 बजे से दोपहर 2 बजे तक — को लागू करने का निर्णय लिया.

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छात्रों ने क्या कुछ बताया, जानें

दूसरे वर्ष के एक छात्र ने TOI को बताया कि हमें अचानक एक नया रूटीन मिला, जिसमें पहला लेक्चर सुबह 9 बजे शुरू हुआ. बाद में सुना कि मैंगो दा ने वाइस प्रिंसिपल को मना लिया था क्योंकि यह उनके कुछ करीबी साथियों के लिए बहुत जल्दी था.” हालांकि जब इस बारे में कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल नयना चटर्जी से पूछा गया तो उन्होंने क्लास टाइमिंग में बदलाव पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

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अजीबोगरीब “रोस्टर” सिस्टम

30 मई को कॉलेज ने एक नोटिस जारी किया जिसमें 3 जून से 30 जून तक सेमेस्टर-वार रोस्टर तय किया गया. नियम के अनुसार हर सेमेस्टर में सप्ताह में दो क्लासेस होनी थीं, लेकिन हकीकत में ये घटकर सिर्फ एक क्लास प्रति सप्ताह रह गईं. इसके बाद 3 जून को जारी नोटिस में यह भी लिखा था कि अगर कोलकाता यूनिवर्सिटी का एग्जाम शेड्यूल आ जाता है तो कॉलेज सामान्य रूटीन पर लौट आएगा और रोस्टर रद्द कर दिया जाएगा.

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छात्रों की पढ़ाई और उपस्थिति पर असर

कॉलेज की तीसरे वर्ष की एक छात्रा ने कहा कि यह सप्ताह में हमारी एकमात्र क्लास थी. चौथे वर्ष के छात्रों के साथ भी यही हुआ. यह ‘अजीबोगरीब रोस्टर' पिछले महीने ही शुरू हुआ था, जबकि पहले हम रोज सुबह 9 से दोपहर 1 बजे तक चार क्लास करते थे. हमें नहीं पता कि ऐसा किस वजह से किया गया. कॉलेज के पास इंफ्रास्ट्रक्चर भी है और टीचर्स भी, फिर भी कोई व्यवस्था नहीं. कुछ छात्र पूरे साल एक भी क्लास में नहीं आए, फिर भी बिना किसी कार्रवाई के परीक्षा में बैठ गए. इससे बाकी लोग भी क्लास छोड़ने लगे.”

एक छात्रा ने कहा कि मैंने पिछले साल एक महीने तक सभी क्लास में अटेंड किया, लेकिन जब देखा कि बाकी लोग गायब हैं और कोई कुछ नहीं कर रहा, तो मैं भी कम आने लगी. यूनियन रूम में जाने वाले लोग बच जाते थे. कॉलेज ने कभी अनियमित उपस्थिति पर कार्रवाई नहीं की.”

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भविष्य के लिए गहरी चिंता

लॉ के छात्रों को अपने कोर्स में मूट कोर्ट और सेमिनार में भाग लेना जरूरी होता है, लेकिन कॉलेज ने शायद ही कभी ऐसी पहल की हो. चौथे वर्ष की एक छात्रा ने कहा कि अब जब भी हम कैंपस में कदम रखेंगे, यह घटना हमें झकझोर देगी. हर दीवार, हर कोना उस क्रूरता की याद दिलाएगा जो मेरे जूनियर के साथ एक कर्मचारी (जो खुद पूर्व छात्र था) ने अपने साथियों के साथ मिलकर की. अगर कॉलेज प्रशासन ने बार-बार दी गई शिकायतों को अनदेखा न किया होता, तो शायद यह सब न होता.”

इस पूरे मामले ने यह साफ कर दिया कि यह सिर्फ एक गैंगरेप नहीं था, बल्कि एक ऐसे सिस्टम की नाकामी भी है जिसने मोनोजीत जैसे लोगों को बेलगाम ताकतवर बना दिया और वो अपनी मनमर्जी करते रहे. अब कॉलेज प्रशासन की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह कड़ी कार्रवाई कर ऐसे तत्वों को कॉलेज की चारदिवारी से बाहर ही रखे और भविष्य में छात्राओं की सुरक्षा और शिक्षा को प्राथमिकता दे.

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