Veer Bal Diwas 2025: हर साल 26 दिसंबर को पूरे देश में वीर बाल दिवस मनाया जाता है. वीर बाल दिवस (साहिबजादा दिवस) गुरु गोबिंद सिंह जी के बेटों के बलिदानों के सम्मान में मनाया जाता है. श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के बेटे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह ने छोटी उम्र में ही धर्म की रक्षा के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी थी. ये दोनों छावा की तरह दहाड़ते थे और आज भी इनकी शहादत लोगों को याद है. 10 साल से भी कम उम्र में दोनों मुगल शासकों की क्रूरता के खिलाफ डटकर खड़े रहे. मुगल शासकों ने बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह को पकड़कर उनपर धर्म परिवर्तन का काफी दबाव डाला था. लेकिन उनका सिर मुगल शासकों के सामने झुका नहीं.
अपनी हार को मुगल शासक बर्दाश्त नहीं कर पाए और उन्होंने श्री गुरु गोबिंद सिंह के बेटों को दीवार में जिंदा चिनवा दिया था. वहीं अपने पोतों की शहादत की खबर जैसे ही माता गुजरी जी को मिली तो उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए.
कब हुई थी वीर बाल दिवस की शुरुआत
वीर बाल दिवस मनाने की शुरुआत साल 2022 में हुई थी. 9 जनवरी, 2022 को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के मौके पर, प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को 'वीर बाल दिवस' के रूप में मनाया जाएगा. तभी से हर साल 26 दिसंबर के दिन को वीर बाल दिवस के रुप में मनाया जाने लगा. इस दिन कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और इनके बेमिसाल बलिदान को याद किया जाता है.
क्या होता है छावा का मतलब
छावा एक मराठी शब्द है, जिसका अर्थ शेर का बच्चा होता है. ये शब्द वीर, पराक्रमी, साहसी व्यक्ति के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. कुछ समय पहले मराठा साम्राज्य के द्वितीय छत्रपति सम्भाजी के जीवन पर आधारित एक मूवी भी आई थी, जिसका नाम छावा था.














