उत्तराखंड सरकार ने 'खूनी गांव' का बदला नाम, अब जाना जाएगा इस नाम से....

प्रशासन द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है और केंद्र सरकार ने भी इसकी मंजूरी दे दी है. साथ ही प्रशासन ने यह भी साफ किया है कि नाम बदलने से पहले से चल रही या किसी लंबित विधिक कार्यवाही में किसी तरह की कोई परेशानी या बाधा नहीं आएगी. 

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यह सूचना मिलते ही ग्रामीणों ने केंद्रीय राज्य मंत्री और प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त किया है. 

Khooni gawn : देवभूमि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का 'खूनी गांव' का नाम अब बदल दिया गया है. अब यह गांव देवी ग्राम नाम से जाना जाएगा. उत्तराखंड सरकार द्वारा गांव का नाम बदलने से यहां के निवासियों में खुशी की लहर है. क्योंकि लंबे समय से ग्रामीण इस गांव का नाम बदलने की मांग कर रहे थे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से लेकर सांसद अजय टम्टा तक ग्रामीणों ने गुहार लगाई थी. एक लंबी प्रक्रिया के बाद आखिरकार जन भावनाओं का ध्यान रखते हुए सरकार ने ‘खूनी' गांव का नाम बदलकर 'देवी ग्राम' करने की अधिसूचना जारी कर दी है. 

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प्रशासन द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है और केंद्र सरकार ने भी इसकी मंजूरी दे दी है. साथ ही प्रशासन ने जारी अधिसूचना में यह भी साफ कर दिया है कि नाम बदलने से पहले से चल रही या किसी लंबित विधिक कार्यवाही में किसी तरह की कोई परेशानी या बाधा नहीं आएगी. 

सोशल मीडिया पर किया पोस्ट

यह जानकारी अल्मोडा-पिथौरागढ़ निर्वाचन क्षेत्र (उत्तराखंड) से सांसद अजय टाम्टा ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट साझा करके दी है. जिसमें उन्होंने लिखा है- जन-जन की भावनाओं और लंबे समय से चली आ रही मांग को ध्यान में रखते हुए, आज पिथौरागढ़ क्षेत्र में स्थित ग्राम "खूनी" का नाम परिवर्तित कर "देवीग्राम" किए जाने की अधिसूचना प्रदेश सरकार ने जारी कर दी.

ग्रामीणों ने किया धन्यवाद

यह सूचना मिलते ही ग्रामीणों ने केंद्रीय राज्य मंत्री और प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त किया है. इस गांव की ग्राम प्रधान इंदिरा जोशी का कहना है कि दशकों से चली आ रही मांग को आज सरकार ने पूरा कर दिया, जिससे पूरा गांव बहुत खुश है. 

क्यों बदला गया नाम

दरअसल, ग्रामीणों को इस गांव का नाम पढ़ने, लिखने और किसी को बताने में बहुत असहज महसूस होता था. जिसके कारण यहां के लोग लंबे समय से नाम बदलने की सरकार से मांग कर रहे थे. आपको बता दें कि पिथौरागढ़ से 10 किलोमीटर दूर इस गांव में लगभग 60 परिवार रहते हैं. जिनकी संख्या कुल 380 है.

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क्यों पड़ा 'खूनी गांव' नाम

इस नाम को लेकर कोई पुख्ता जानकारी नहीं है, लेकिन गांव वालों के बीच जो कहानी प्रचलित है वो ये है कि जब अंग्रेज इस गांव में आए थे ग्रामीणों की उनसे लड़ाई हुई जिसमें गांव वालों ने अंग्रेजों को मार डाला. जिसके बाद से इसका नाम खूनी गांव पड़ गया.

इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि पहले इस गांव का नाम 'खोली' था लेकिन अंग्रेज इसे सही से उच्चारित नहीं कर पाए और इसे 'खूनी' कहने लगे जिसके कारण यह नाम पड़ा.

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