मुंबई की मोनोरेल फिलहाल चर्चा में है, क्योंकि अचानक ये ट्रेन रुक गई और इसमें यात्रा कर रहे लोग फंस गए. इन लोगों को काफी मशक्कत के बाद निकाला गया. यात्रियों को क्रेन से बाहर निकालने का वीडियो सामने आया तो लोग पूछने लगे कि भला ये कैसी रेल है, कुछ लोगों का कहना था कि इससे अच्छा तो दिल्ली मेट्रो है, जो हर हाल में अपनी रफ्तार से दौड़ती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि दिल्ली मेट्रो और मुंबई में चलने वाली मोनोरेल में क्या अंतर है.
इन चीजों में है अंतर
मोनोरेल और दिल्ली मेट्रो में कई चीजों का अंतर है. इन दोनों ट्रेनों को कंपेयर करना सही नहीं है. इसमें टेक्नोलॉजी से लेकर ट्रैक और डिजाइन जैसी चीजों का फर्क है. मोनोरेल आमतौर पर एक पतली बीम पर चलती है, जो सीमेंट और कंक्रीट से बनी होती है. वहीं दिल्ली मेट्रो बाकी ट्रेनों की तरह पटरियों पर दौड़ती है.
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- मोनोरेल काफी छोटी होती है और इसमें करीब एक हजार यात्री सफर कर सकते हैं.
- दिल्ली मेट्रो में आमतौर पर 8 कोच होते हैं. जिसमें तीन हजार से ज्यादा लोग सफर कर सकते हैं.
- मोनोरेल के खराब होने पर उसे ट्रैक से हटाना थोड़ा मुश्किल होता है, वहीं मेट्रो में ये काम जल्दी हो जाता है.
- दिल्ली मेट्रो राजधानी की लाइफलाइन है, वहीं मोनोरेल सिर्फ 20 किमी की दूरी में चलती है.
क्यों नहीं रुकती है मेट्रो की रफ्तार?
अब बात करते हैं कि दिल्ली मेट्रो की रफ्तार क्यों नहीं रुकती है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इसमें हैवी ओवरहेड केबल लगे होते हैं, शंटिंग की दिक्कत होने पर बैकअप लाइन भी तैयार रहती है. इसके अलावा ओवरहेड केबल को जल्दी ठीक किया जा सकता है.