कई लोगों ने ऐसा एक्सपीरियंस किया होता है कि वो रोज अपनी खिड़की या बालकनी पर थोड़ा-सा खाना रखते हैं और कुछ दिनों बाद कौवा वहां आने लगता है. फिर अचानक किसी दिन खाली प्लेट के पास पड़ा मिलता है एक कंकड़, चमकदार ढक्कन, बटन या मेटल का छोटा सा टुकड़ा. ये पल अक्सर इमोशनल फील करवाता है या फिर हैरानी से भर देता है. कभी लगता है जैसे क्रो (Crow) ने बदले में कुछ लौटाया हो या फिर वो कोई गिफ्ट लेकर आए हों. लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार इसके पीछे छिपा है कौवे का तेज दिमाग, गजब की याददाश्त और इंसानों के साथ भरोसे का एक रिश्ता.
कौवे इतने इंटेलिजेंट क्यों माने जाते हैं?
कौवे ‘कॉर्विड' परिवार के पक्षी हैं और इन्हें दुनिया के सबसे समझदार पक्षियों में गिना जाता है. शोध बताता है कि वो इंसानों के चेहरे पहचान सकते हैं. उन्हें सालों तक याद रखते हैं और पॉजिटिव या निगेटिव एक्सपीरियंस के आधार पर अपना बर्ताव बदलते हैं. जिन लोगों से उन्हें खाना या सुरक्षा मिलती है. उनके प्रति वो अधिक शांत और भरोसेमंद रहते हैं. यही वजह है कि वो नियमित रूप से खाना देने वाले लोगों को अलग तरीके से पहचानने लगते हैं.
क्या ये सच में “गिफ्ट” होता है?
वैज्ञानिक इसे भावनात्मक गिफ्ट नहीं, बल्कि सीखी हुई अदला बदली जैसा व्यवहार मानते हैं. कौवों को चमकीली, हल्की और अनोखी चीजें नेचुरली अट्रेक्ट करती हैं. जैसे कंकड़, बॉटल कैप या छोटे मेटल के टुकड़े. जब वो ऐसी वस्तु लेकर जानी पहचानी खाने वाली जगह पर आते हैं, तो उसे वहीं में छोड़ देते हैं. यदि इसके बाद उन्हें भोजन या शांत रिएक्शन मिलता है, तो वो इस पैटर्न को दोहराने लगते हैं. समय के साथ ये भरोसे और याददाश्त पॉजिटिव एक्सपीरियंस में तब्दील हो जाता है. जो अक्सर लोगों को गिफ्ट के रूप में हैरानी के साथ मिलता है.














