कुलपति और कुलाधिपति में क्या होता है अंतर? जान लीजिए दोनों के काम

यूनिवर्सिटी में कुलपति (Vice-Chancellor - VC) और कुलाधिपति (Chancellor) के पद में क्या अंतर होता है. जानिए क्या होता है दोनों की शक्तियां और ड्यूटी.

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नई दिल्ली:

हर यूनिवर्सिटी में कुलपति और कुलाधिपति होते हैं. कुलपति (Vice-Chancellor - VC) और कुलाधिपति (Chancellor) किसी भी विश्वविद्यालय के दो सर्वोच्च पद होते हैं, लेकिन इनका काम और इनकी शक्तियां दोनों अलग-अलग होती है. लेकिन इन पदों में क्या अंतर हैं और इनके क्या अलग- अलग काम है. इनके बारे में जानिए.

कुलाधिपति (Chancellor) कुलपति (Vice-Chancellor) में अंतर

कुलाधिपति (Chancellor) कुलपति (Vice-Chancellor) पद सांविधिक/औपचारिक (Ceremonial/Titular) वास्तविक प्रमुख (Executive Head) का पद होता है. आमतौर पर राज्य का राज्यपाल सरकारी विश्वविद्यालयों में या एक प्रतिष्ठित व्यक्ति प्राइवेट विश्वविद्यालयों में चयन समिति की सिफारिश पर कुलाधिपति द्वारा नियुक्त किया जाता है. 

 कुलपति (Vice-Chancellor) का काम विश्वविद्यालय का डेली प्रशासनिक काम देखना होता है. इनके पास सीमित कार्यकारी शक्तियां होती है, जैसे दीक्षांत समारोहों की अध्यक्षता करना, डिग्री देना, फिनांस देखना और कॉलेजों की पॉलिसी बनाना इत्यादी.

कुलाधिपति  (Chancellor) की ड्यूटी और जिम्मेदारी

कुलाधिपति विश्वविद्यालय का औपचारिक मुखिया होता है. कुलाधिपति विश्वविद्यालय का सबसे हायर पद पर होता है. वह विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व नेशनल और इंटरनेशनल मंचों पर करता है. दीक्षांत समारोह (Convocation) में डिग्रियां और डिप्लोमा देना की जिम्मेदारी कुलाधिपति का होता है. यह समारोह की गरिमा को बढ़ाता है.सरकारी यूनिवर्सिटी में राज्यपाल के पद पर रहने तक या विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार (आमतौर पर 3 से 5 वर्ष) तक चांसलर पर काम करते हैं.

वह यह सुनिश्चित करते हैं कि विश्वविद्यालय अपने नियमों और कानूनों के अनुसार कार्य करे.अगर विश्वविद्यालय के कार्यकलापों में कोई गंभीर अनियमितता आती है, तो वह कुलपति को मार्गदर्शन या निर्देश दे सकते हैं.

कुलाधिपति विश्वविद्यालय के कुलपति (VC) की नियुक्ति करते हैं (चयन समिति की सिफारिश पर). कुछ मामलों में, वह कुलपति के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शुरू कर सकते हैं. यह विश्वविद्यालय के अलग विभाग  (जैसे सीनेट, सिंडिकेट) के बीच होने वाले गंभीर विवादों में मध्यस्थ के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं. अधिकांश सरकारी विश्वविद्यालयों में,राज्य का राज्यपाल (Governor) पदेन (ex-officio) कुलाधिपति होता है, जबकि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में यह पद राष्ट्रपति या किसी अन्य नामित व्यक्ति के पास हो सकता है.

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