चोरी की खबरें आप आए दिन सुनते होंगे, कभी कोई किसी का मोबाइल छीनकर भाग जाता है तो कभी घर में चोरी हो जाती है. चोरी के अलावा आपने लूट और डकैती जैसे शब्द भी सुने होंगे. ज्यादातर लोगों को लगता है कि ये सभी चीजें एक ही जैसी हैं और उन्हें ये पता नहीं होता है कि चोरी, डकैती और लूट में क्या अंतर होता है. आज हम आपको बताएंगे कि लूट और डकैती क्या होती है और इन दोनों में कैसे अलग-अलग सजा का प्रावधान है.
कैसे तय होता है अपराध?
किसी भी अपराध के होने के बाद उसकी डिग्री देखी जाती है, यानी अपराध की गंभीरता को देखा जाता है. इसमें ये देखा जाता है कि अपराध के दौरान किसी को कितनी चोट पहुंचाई गई है या धमकाया गया है. इसी के आधार पर ये तय होता है कि चोरी हुई है या फिर लूट या डकैती हुई है.
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क्या होती है चोरी?
बीएनएस की धारा 378 के तहत जब कोई गलत नीयत से कोई सामान बिना पूछे उठा ले या उसे छिपाकर रख दे तो उसे चोरी माना जाएगा. चोरी के लिए कुछ महीने से लेकर तीन साल तक की जेल या फिर जुर्माने की सजा का प्रावधान है. घर या दुकान पर चोरी करने के मामले में सजा ज्यादा भी हो सकती है.
लूट क्या होती है?
चोरी करते हुए अगर कोई किसी को डराता, धमकाता या फिर थप्पड़ मारता है तो ये लूट में आ जाता है. यानी ये फिर चोरी का केस नहीं रह जाता है. इसमें 10 साल तक की सजा और जुर्माना वसूला जा सकता है. यानी ये चोरी से बड़ा अपराध है.
क्या होती है डकैती?
जब पांच या फिर इससे ज्यादा लोग मिलकर किसी तरह की लूट या फिर चोरी को अंजाम देते हैं तो इसे डकैती की श्रेणी में रखा जाता है. इस तरह के मामले में चोरी या लूट का नहीं बल्कि डकैती का केस दर्ज किया जाता है. ये चोरी-लूट से ज्यादा गंभीर श्रेणी का अपराध है. इसमें 10 साल तक की जेल और बड़ा जुर्माना लगाया जा सकता है.