Bihar Niyojit Shikshak: बिहार सरकार पिछले कई महीनों से राज्य में शिक्षकों की भर्ती के लिए सुर्खियों में है. बिहार में लगातार शिक्षकों की बंपर भर्ती हो रही है. वहीं बिहार सरकार के इस फैसले ने उन शिक्षकों की झोली में खुशियां भर दी हैं, जो अब तक नियोजित शिक्षक कहे जाते थे. नीतीश कुमार की सरकार ने मंगलवार को कैबिनेट बैठक में नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी दिए जाने का फैसला किया है. यही नहीं बैठक में बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2023 को मंजूरी भी दी है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ये नियोजित शिक्षक क्या होता है. क्या ये किसी खास योजना के लिए होते हैं, क्या टीचर नहीं होते हैं? तो आइये जानते हैं-
नियोजित शिक्षक, पंचायती राज, नगर निकाय संस्थान के वे कर्मचारी होते हैं तो सरकारी स्कूलों में पढ़ाते हैं लेकिन उनकी सेवा नियमावली राज्य सरकार के कर्मी यानी सरकारी शिक्षकों की नियमावली से अलग होती है. जिसके कारण इन शिक्षकों को ट्रांसफर, प्रमोशन, वेतन बढ़ोतरी, डीए समेत राज्य सरकार की कई सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता है. साल 2003 में शिक्षकों की कमी होने पर राज्य सरकार ने 10वीं, 12वीं पास युवाओं को शिक्षा मित्र के रूप में रखा था.
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साल 2006 में इन शिक्षकों को सरकार ने नियोजित शिक्षक की मान्यता दी थी. अब इन्हीं शिक्षकों को नीतीश सरकार ने राज्यकर्मी का दर्जा दिया है. आसान शब्दों में समझें तो बिहार में करीब 4 लाख नियोजित शिक्षकों को परमानेंट टीचर का दर्जा मिलेगा और ये सहायक शिक्षक कहलाएंगे. हालांकि इसके लिए नियोजित शिक्षकों को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से आयोजित कंपीटेंसी परीक्षा पास करनी होगी. राज्यकर्मी बनते ही इन शिक्षकों को भी अपनी पंसद की ट्रांसफर मिल सकेगी. साथ ही इन्हें भी दूसरे टीचरों की तरह प्रमोशन, वेतन बढ़ोतरी, डीए की सुविधाएं मिलेंगी.
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