झारखंड में दूसरे चरण के रण में सोरेन परिवार के चार सदस्यों की सियासी किस्मत दांव पर

Jharkhand Assembly Elections 2024: शिबू सोरेन की विरासत के सबसे बड़े झंडाबरदार हेमंत सोरेन हैं, जो राज्य के मुख्यमंत्री के साथ-साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. राज्य में ‘इंडिया’ ब्लॉक के स्वाभाविक लीडर भी वही हैं. ऐसे में सत्तारूढ़ गठबंधन की जीत-हार की सबसे पहली जिम्मेदारी उन्हीं के नाम होगी.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
रांची:

झारखंड के मौजूदा सियासी समीकरणों में ‘सोरेन परिवार' राज्य का सबसे रसूखदार घराना है. झारखंड में 20 नवंबर को होने वाले दूसरे चरण के मतदान में इस परिवार के चार सदस्यों हेमंत सोरेन, कल्पना सोरेन, सीता सोरेन और बसंत सोरेन की सियासी किस्मत दांव पर लगी है.

झारखंड अलग राज्य बनने के बाद यह पहला चुनाव है, जब सोरेन परिवार के मुखिया झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन उर्फ गुरुजी चुनाव प्रचार अभियान से पूरी तरह दूर रहे. झारखंड मुक्ति मोर्चा के पोस्टर-बैनर पर उनकी तस्वीरें प्रमुखता से लगी रही, लेकिन बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थ्य की वजह से चुनावी सभाओं से उनकी दूरी बनी रही.

अब शिबू सोरेन की विरासत के सबसे बड़े झंडाबरदार हेमंत सोरेन हैं, जो राज्य के मुख्यमंत्री के साथ-साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. राज्य में ‘इंडिया' ब्लॉक के स्वाभाविक लीडर भी वही हैं. ऐसे में सत्तारूढ़ गठबंधन की जीत-हार की सबसे पहली जिम्मेदारी उन्हीं के नाम होगी. हेमंत सोरेन खुद संथाल परगना प्रमंडल की बरहेट सीट से चुनाव मैदान में हैं. इसी सीट से वह 2014 और 2019 में झारखंड विधानसभा पहुंचे थे.

बरहेट सीट पर मुकाबला दिलचस्प
बरहेट सीट को झामुमो का अभेद्य किला समझा जाता है. वर्ष 1990 से ही इस सीट पर लगातार झामुमो की जीत का झंडा लहराता रहा है. भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें इसी सीट पर चुनौती देने के लिए गमालियल हेंब्रम को उतारा है. हेंब्रम मात्र पांच साल पहले राजनीति में हैं. वर्ष 2019 में वह सरकारी स्कूल में कॉन्ट्रैक्ट टीचर की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए थे और बरहेट सीट पर पिछला चुनाव आजसू पार्टी के टिकट पर लड़ा था. तब उन्हें मात्र 2573 वोट मिले थे और वह चौथे स्थान पर रहे थे. गमालियल क्षेत्र में बड़े-बड़े फुटबॉल टूर्नामेंट आयोजित करवाने के लिए जाने जाते हैं. यह देखना दिलचस्प है कि भाजपा का यह युवा उम्मीदवार चुनावी पिच पर राज्य की सबसे शक्तिशाली शख्सियत के खिलाफ कैसा स्कोर कर पाता है.

शिबू सोरेन के सबसे छोटे पुत्र और हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन दुमका सीट पर झामुमो के उम्मीदवार हैं. दुमका झारखंड की उपराजधानी और संथाल परगना प्रमंडल का सबसे बड़ा शहर है. इस लिहाज से इसे बेहद प्रतिष्ठा जनक सीट माना जाता है. दुमका ही वह इलाका है, जिसने शिबू सोरेन ने सबसे बड़ी राजनीतिक पहचान दी थी. यहां से वह विधायक और कई बार सांसद रह चुके हैं. बसंत सोरेन फिलहाल यहां के सीटिंग विधायक हैं. उन्हें भाजपा के सुनील सोरेन कड़ी चुनौती दे रहे हैं. सुनील सोरेन दुमका से सांसद रहे हैं और उनकी इलाके में मजबूत पहचान रही है. वर्ष 2019 में उन्होंने यहां शिबू सोरेन को पराजित किया था और इस वजह से उन्हें संथाल परगना में भाजपा के गेम चेंजर प्लेयर के तौर पर देखा जाता है. उन्होंने वर्ष 2005 में शिबू सोरेन के बड़े पुत्र दुर्गा सोरेन (अब दिवंगत) को जामा विधानसभा सीट पर पराजित किया था और सियासी तौर पर यहां स्थापित हुए थे.

गांडेय सीट से चुनावी रण में कल्पना सोरेन
सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन गिरिडीह जिले की गांडेय सीट से मैदान में हैं. वह इस चुनाव में हेमंत सोरेन के बाद झामुमो की सबसे बड़ी और लोकप्रिय स्टार प्रचारक रही हैं. वह इसी वर्ष जनवरी में हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद राजनीति में आईं और इस सीट पर जून में हुए उपचुनाव में जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंची थीं. इस सीट पर भाजपा ने कल्पना सोरेन के मुकाबले में मुनिया देवी को मैदान में उतारा है. मुनिया देवी गिरिडीह जिले की जिला परिषद अध्यक्ष रह चुकी हैं. वह ओबीसी समुदाय से आती हैं और उनका मायका भी गांडेय है. कल्पना सोरेन को चुनौती दे रही मुनिया देवी ने प्रचार अभियान में खूब पसीना बहाया है.

Advertisement

जामताड़ा सीट पर भाजपा ने हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन को चुनाव के मैदान में उतारा है. वह सोरेन परिवार की पहली और एकमात्र सदस्य हैं, जिन्होंने शिबू सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा से अलग होकर अपना राजनीतिक ठिकाना किसी और पार्टी को बनाया है. वह पिछले लोकसभा चुनाव के समय सोरेन परिवार पर उपेक्षा और सौतेला सलूक करने का गंभीर आरोप लगाते हुए भाजपा में शामिल हुई थीं. भाजपा ने लोकसभा चुनाव में उन्हें दुमका सीट से मैदान में उतारा था, लेकिन बेहद करीबी मुकाबले में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. सीता सोरेन जामा सीट से तीन बार झामुमो के टिकट पर विधायक रह चुकी हैं और इस दफा पहली बार गैर आदिवासी सीट से चुनाव लड़ रही हैं. उनका मुकाबला कांग्रेस के डॉ इरफान अंसारी से है, जो हेमंत सोरेन की सरकार में मंत्री हैं. दोनों के बीच आमने-सामने का कड़ा मुकाबला है.

Featured Video Of The Day
Indian Women's Cricket Team को मिला ''Sports Performance of the Year' Award | NDTV India