फिर उठा वैष्णो देवी रोपवे विवाद, संघर्ष समिति ने दी 1 जुलाई से कटरा बंद की चेतावनी

संघर्ष समिति का कहना है कि सांझीछत क्षेत्र में रोपवे का निर्माण कार्य लगातार जारी है, जिससे असंतोष और आशंका दोनों बढ़ रही हैं. समिति ने स्पष्ट किया है कि यदि 1 जुलाई तक परियोजना को रद्द नहीं किया गया, तो उसी दिन एक बड़ी बैठक कर आंदोलन की अगली रणनीति घोषित की जाएगी.

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नई दिल्ली:

श्री माता वैष्णो देवी मंदिर तक प्रस्तावित रोपवे परियोजना एक बार फिर विवादों के घेरे में है. कटरा के स्थानीय व्यापारियों, मजदूरों और ट्रांसपोर्ट यूनियनों से जुड़ी संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि अगर एक जुलाई तक रोपवे का निर्माण कार्य नहीं रोका गया, तो कटड़ा में पूर्ण बंद और व्यापक हड़ताल शुरू की जाएगी.

संघर्ष समिति ने रविवार को कटड़ा में बैठक कर यह ऐलान किया. उनका कहना है कि श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लगभग ₹350 करोड़ की लागत से जो रोपवे बना रहा है, उससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होगा. समिति का तर्क है कि इस परियोजना से न सिर्फ हजारों मजदूरों का रोज़गार प्रभावित होगा, बल्कि होटल, टैक्सी, घोड़े-पालकी जैसे परंपरागत व्यवसाय भी बुरी तरह प्रभावित होंगे. आपको बता दे कि दिसंबर 2024 में भी इस मुद्दे पर कटड़ा में ज़ोरदार आंदोलन हुआ था. इसके बाद उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में श्राइन बोर्ड की बैठक हुई और एक हाई पावर कमेटी गठित की गई थी.

समिति को आश्वासन मिला था कि जल्द ही रोपवे परियोजना पर उचित निर्णय लिया जाएगा.लेकिन छह माह बीतने के बाद भी न तो निर्माण कार्य रुका है, न ही कमेटी की ओर से कोई स्पष्ट निर्णय सामने आया है. संघर्ष समिति की मांगें है कि रोपवे परियोजना को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाए. उच्चस्तरीय समिति इसे रद्द करने का औपचारिक ऐलान करे. श्राइन बोर्ड स्थानीय हितधारकों से सीधा संवाद स्थापित करे.

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संघर्ष समिति का कहना है कि सांझीछत क्षेत्र में रोपवे का निर्माण कार्य लगातार जारी है, जिससे असंतोष और आशंका दोनों बढ़ रही हैं. समिति ने स्पष्ट किया है कि यदि 1 जुलाई तक परियोजना को रद्द नहीं किया गया, तो उसी दिन एक बड़ी बैठक कर आंदोलन की अगली रणनीति घोषित की जाएगी.

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वहीं, श्राइन बोर्ड का दावा है कि यह रोपवे दिव्यांग, बुजुर्ग और बीमार श्रद्धालुओं के लिए राहत का माध्यम होगा और यात्रा को अधिक सुगम एवं सुरक्षित बनाएगा. लेकिन स्थानीय विरोध को देखते हुए अब यह परियोजना सामाजिक और आर्थिक टकराव का कारण बनती जा रही है.

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