टेरर फंडिंग केस में यासीन मलिक दोषी करार, NIA कोर्ट में सज़ा पर बहस 25 मई से

Yasin Malik : Terror Funding केस में कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को दोषी करार दिया गया है. मलिक की सजा निर्धारित करने को लेकर NIA कोर्ट में सज़ा पर बहस 25 मई से शुरू होगी.

विज्ञापन
Read Time: 20 mins

यासीन मलिक टेरर फंडिंग मामले में दोषी करार. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

टेरर फंडिंग केस में कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को दोषी करार दिया गया है. मलिक की सजा निर्धारित करने को लेकर NIA कोर्ट में सज़ा पर बहस 25 मई से शुरू होगी. दिल्ली की एक अदालत में यासीन मलिक ने आतंकवाद के वित्त पोषण मामले में आरोप स्वीकार कर लिए थे, जिसके बाद कोर्ट ने आज मलिक को दोषी करार दिया है.

बता दें कि मलिक ने हाल ही में, 2017 में कश्मीर घाटी में अशांति पैदा करने वाले कथित आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों से संबंधित एक मामले में दिल्ली की एक अदालत के समक्ष, कड़े गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और विभिन्न धाराओं के तहत लगाए गए सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था. मलिक ने अदालत से कहा था कि वो अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को चुनौती नहीं देगा.

मामले की सुनवाई कर रहे विशेष जज प्रवीण सिंह ने एनआईए अधिकारियों को निर्देश दिया कि वो यासीन मलिक की आर्थिक स्थिति का आकलन करें. और उन्होंने सजा सुनाने के लिए 25 मई की तारीख तय की है. 

Advertisement

इस मामले में  अदालत ने फारूक अहमद डार उर्फ ​​बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसर्रत आलम, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख, और नवल किशोर कपूर सहित अन्य कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए गए हैं. लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी दायर किया गया था, जिन्हें मामले में भगोड़ा घोषित किया गया है.

Advertisement

बता दें कि यासीन मलिक के खिलाफ आरोप तय किए जाने के बाद पाकिस्तान ने भारतीय दूतावास प्रभारी को विदेश मंत्रालय में तलब कर उन्हें आपत्ति संबंधी एक दस्तावेज (डिमार्शे) सौंपा था, जिसमें मलिक के खिलाफ 'मनगढ़ंत आरोप' लगाए जाने की कड़ी निंदा की गई थी. बयान में कहा गया कि 'भारतीय दूतावास को पाकिस्तान की गंभीर चिंता से अवगत कराया गया कि भारत सरकार ने कश्मीरी नेतृत्व की आवाज़ को दबाने के लिए उन्हें (मलिक को) फर्जी मामलों में फंसाया है.' पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में भारत सरकार से मलिक को सभी 'निराधार' आरोपों से बरी करने और जेल से तत्काल रिहा करने का मांग की थी.

Advertisement
Topics mentioned in this article