भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत दायर एक प्रश्न के उत्तर में उल्लेखित भारी मात्रा में गायब बैंक नोटों का आरोप लगाने वाली मीडिया रिपोर्टों पर स्पष्टीकरण दिया है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि रिपोर्ट सही नहीं हैं, क्योंकि वे आरटीआई अधिनियम के तहत बैंक नोटों को छापने वाली प्रेस से एकत्र की गई जानकारी की गलत व्याख्या पर आधारित हैं. इसमें कहा गया है कि प्रिंटिंग प्रेस से आए सभी नोटों का हिसाब रखा जाता है.
केंद्रीय बैंक ने आज रात प्रकाशित एक बयान में कहा, "आरबीआई को मीडिया के कुछ वर्गों में चल रही रिपोर्टों के बारे में पता चला है, जिनमें बैंक नोट प्रिंटिंग प्रेसों द्वारा मुद्रित नोट गायब होने का आरोप लगाया गया है. आरबीआई जोर देकर कहता है कि ये रिपोर्ट सही नहीं हैं."
आरबीआई ने कहा, "रिपोर्ट सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत प्रिंटिंग प्रेसों से एकत्र की गई जानकारी की गलत व्याख्या पर आधारित हैं. यह बात ध्यान रखी जानी चाहिए कि प्रिंटिंग प्रेसों से आरबीआई को आपूर्ति किए गए सभी बैंक नोटों का सही हिसाब लगाया जाता है."
केंद्रीय बैंक ने मुख्य महाप्रबंधक योगेश दयाल द्वारा हस्ताक्षरित बयान में कहा, "इसलिए, जनता के सदस्यों से अनुरोध किया जाता है कि वे ऐसे मामलों में समय-समय पर आरबीआई द्वारा प्रकाशित सूचना पर जवाब दें."
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