महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में मराठा और ओबीसी आरक्षण के लिए चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आश्वासन दिया कि उनकी सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देते समय अन्य सामाजिक समूहों और ओबीसी के साथ अन्याय नहीं होने देगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में मराठा और ओबीसी समुदायों के आरक्षण पर चर्चा के जरिए रास्ता निकालना होगा.
सह्याद्री अतिथिगृह में आरक्षण के सन्दर्भ में सर्वदलीय बैठक मुख्यमंत्री शिंदे की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई थी. इस बैठक में देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरी झिरवाल, मंत्री सर्वश्री चंद्रकांत पाटील, राधाकृष्ण विखे पाटील, छगन भुजबल, रवींद्र चव्हाण, शंभूराज देसाई, दादाजी भुसे, अतुल सावे, धनंजय मुंडे समेत सांसद अशोक चव्हाण, सुनील तटकरे, वरिष्ठ नेता प्रकाश आंबेडकर, विधायक सर्वश्री प्रवीण दरेकर, गोपीचंद पडळकर, बच्चू कडू, भरत गोगावले, महादेव जानकर आदि उपस्थित थे.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, "आरक्षण के संदर्भ में विभिन्न राजनीतिक दल, संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण है और राज्य में मराठा, ओबीसी समाज के आरक्षण को लेकर चर्चा से ही हल निकलना चाहिए. कानून एवं सुव्यवस्था अबाधित रखते समय जातीय सरोकार भी हमेशा रहना चाहिए".
मुख्यमंत्री ने इस बैठक में बताया कि मराठा समाज को 10 फीसदी आरक्षण देने का निर्णय सरकार ने लिया है. यह कानून के दायरे में स्थायी रहने के लिए हमारा प्रयास है. यह निर्णय लेने से अब तक शिक्षण, पदभर्ती में मराठा समाज के उम्मीदवारों को लाभ हुआ है. मराठा समाज को स्थायी आरक्षण देते समय अन्य समाज वर्ग पर भी अन्याय नहीं होगा, यह आश्वासन भी मुख्यमंत्री ने इस बैठक में दिया.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बताया कि आरक्षण यह राजनीति का विषय नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक समरसता अबाधित रहें, इसके लिए सरकार की प्रामाणिक भूमिका रही है और इसी दिशा में सरकार की सकारात्मक प्रक्रिया जारी है. राज्य में सौहार्दपूर्ण वातावरण हमेशा रहें, इसके लिए सर्वदलीय सदस्यों को विश्वास में लेकर चर्चा से ही हल निकालने के संदर्भ में आज की बैठक बुलाई गई थी. मराठा और ओबीसी समाज की कटुता को दूर करने के लिए इस बैठक को आयोजित किया गया था.