क्लाउड सेवाओं के इस्तेमाल के साथ आंकड़ों की सुरक्षा को लेकर भी बढ़ी चिंता, डेटा में हो रही सेंधमारी: रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक, व्यावसायिक संगठनों के बीच पिछले साल में एक से अधिक क्लाउड सेवा प्रदाताओं का इस्तेमाल लगभग दोगुना हो गया है.

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नई दिल्ली:

देश में आंकड़ों को रखने के लिए क्लाउड और मल्टी-क्लाउड का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों की संख्या बढ़ने के साथ क्लाउड डेटा में सेंधमारी की घटनाओं में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है. क्लाउड सुरक्षा से संबंधित एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. 'थालेस क्लाउड सिक्योरिटी रिपोर्ट' के मुताबिक, क्लाउड का इस्तेमाल बढ़ने के बावजूद भारत के 37 प्रतिशत संस्थानों को पिछले एक साल में अपने डेटा (आंकड़ों) में सेंध लगने की घटनाओं का सामना करना पड़ा है. एक साल पहले यह आंकड़ा 33 प्रतिशत था. इस रिपोर्ट को एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के मातहत 451 शोधकर्ताओं की मदद से तैयार किया गया है.

क्लाउड सेवाएं दरअसल बुनियादी ढांचा, मंच या साफ्टवेयर हैं, जिसे तीसरा-पक्ष ‘होस्ट' करता है और इंटरनेट के माध्यम से इसे उपयोगकर्ताओं को उपलब्ध कराया जाता है. उपयोगकताओं को क्लाउड सेवाओं के उपयोग के लिए केवल कंप्यूटर, ऑपरेटिंग सिस्टम और इंटरनेट की ही जरूरत पड़ती है.

इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत समेत दुनिया भर में क्लाउड सेवाओं का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है. साल 2015 में जहां सिर्फ आठ कंपनियां 'एक सेवा के रूप में सॉफ्टवेयर' (सास) एप्लिकेशन का इस्तेमाल कर रही थीं, वहीं वर्ष 2021 में यह संख्या बढ़कर 110 हो गई.

पिछले एक साल में 'एक सेवा के रूप में अवसंरचना' (आईएएस) एप्लिकेशन का इस्तेमाल भी तेजी से बढ़ा है. आज दुनिया भर के लगभग 72 प्रतिशत कारोबार एक से ज्यादा आईएएएस का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि साल भर पहले यह अनुपात 57 प्रतिशत ही था.

इस रिपोर्ट के मुताबिक, व्यावसायिक संगठनों के बीच पिछले साल में एक से अधिक क्लाउड सेवा प्रदाताओं का इस्तेमाल लगभग दोगुना हो गया है. दुनिया भर का हर पांचवां उत्तरदाता इस समय तीन या अधिक प्रदाताओं की सेवाएं ले रहा है.

इस विस्तार के बावजूद कई कंपनियों ने क्लाउड सेवाओं की बढ़ती जटिलताओं को लेकर चिंता जताई है. भारत के 40 प्रतिशत आईटी पेशेवरों ने कहा है कि क्लाउड में गोपनीयता और डेटा सुरक्षा का प्रबंधन करना काफी मुश्किल है. इसके अतिरिक्त क्लाउड भंडारण तक का सफर भी पहले से कहीं ज्यादा जटिल होता जा रहा है. भारत में भी ऐसी सोच रखने वाले उत्तरदाताओं की संख्या करीब 23 प्रतिशत है.

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थालेस के उपाध्यक्ष एवं क्षेत्रीय निदेशक (भारत) आशीष सराफ ने कहा, 'मल्टी-क्लाउड परिवेश भारत में व्यवसायों के लिए एक नया मानदंड बन रहा है, लेकिन इसके साथ क्लाउड तक का उनका सफर भी अधिक जटिल होता जा रहा है. व्यवसाय अभी सीखने के दौर में हैं और वे खुद को मल्टी-क्लाउड परिवेश में ढालने से जुड़ी सुरक्षा चुनौतियों के लिए तैयार कर रहे हैं.'

इस रिपोर्ट के नतीजों पर थालेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (क्लाउड सुरक्षा एवं लाइसेंसिंग) सेबेस्टियन कैनो ने कहा, 'मल्टी-क्लाउड पर्यावरण के प्रबंधन की जटिलता को कम करके नहीं आंका जा सकता है. चुनौती सिर्फ यह नहीं है कि संवेदनशील डेटा भौगोलिक रूप से कहां रखा गया है, बल्कि यह भी है कि संगठन के भीतर उस डेटा तक पहुंच किसकी है. इसके लिए ‘एन्क्रिप्शन' जैसे समाधान हो सकते हैं.'
 

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