संसद के शीतकालीन सत्र का पहला दिन ही हंगामेदार रहा. लोकसभा में सदन की कार्रवाई शुरू होती ही कई विपक्षी दलों के सांसद ने हंगामा शुरू कर दिया और SIR के मुद्दे पर चर्चा तत्काल चर्चा करने की मांग की. इस मामले में कांग्रेस के चीफ व्हीप मणिकम टैगोर और कई दूसरे विपक्षी दलों के सांसदों ने स्थगित प्रस्ताव का नोटिस दिया था.लेकिन सरकार ने विपक्षी सांसदों की इस मांग को स्वीकार नहीं किया जिसकी वजह से तीन बार लोकसभा की कार्रवाई सोमवार को स्थगित करनी पड़ी.
टीएमसी की नेता और सांसद सागरिका घोष ने एनडीटीवी से कहा कि 'चुनाव आयोग के हाथ खून से सने हैं'. पश्चिम बंगाल में 40 BLOs की जो मौत हुई है उसके लिए चुनाव आयोग जिम्मेदार है . हम इस मसले को संसद में उठाना चाहते हैं . SIR के मुद्दे पर जिस तरह से 40 BLOs की मौत हुई है उस मुद्दे को संसद में उठाना चाहते हैं, इस पर चर्चा होनी चाहिए.विपक्षी सांसदों का आरोप हैकि एनडीए सरकार SIR पर चर्चा से बचने की कोशिश कर रही है इसलिए सदन को बार-बार स्थगित किया जा रहा है.
उधर, एनडीए सरकार ने विपक्षी सांसदों के नारों को बेबुनियाद कर दिया है एनडीटीवी से बातचीत में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि SIR के मुद्दे पर बिहार की जनता ने स्पष्ट जनादेश दिया है.यह कोई मुद्दा नहीं है.अगर विपक्ष को SIR के मुद्दे पर कोई आपत्ति है तो उसे कोर्ट जाना चाहिए,चुनाव आयोग के पास जाना चाहिए.यह मामला चुनाव आयोग के अधीन है.इस पर संसद में कैसे चर्चा हो सकती है.विपक्ष जानबूझकर हंगामा कर रहा है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सही कहा है कि विपक्ष को ड्रामा नहीं करना चाहिए.संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन SIR के मुद्दे पर तकरार के बाद अब मंगलवार को को भी संसद में इस मुद्दे पर राजनीतिक हंगामा जारी रहने की आशंका है.














