सरकार क्या बेटी को मौत की सजा से बचाने के लिए महिला को यमन जाने की अनुमति देगी? : अदालत

प्रिया की मां ने भारतीय नागरिकों के लिए यमन जाने पर रोक के बावजूद वहां जाने और अपनी बेटी को बचाने के लिए ‘ब्लड मनी’ पर बातचीत करने की अनुमति मांगने के लिए इस साल की शुरुआत में उच्च न्यायालय का रुख किया था.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
अदालत ने मामले की सुनवाई 11 दिसंबर तक के लिए सूचीबद्ध की है. (फाइल)
नई दिल्ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने सोमवार को केंद्र से पूछा कि क्या वह केरल की उस महिला की मां को तीन अन्य लोगों के साथ यमन जाने की अनुमति देने को तैयार है, जिसे वहां स्थानीय नागरिक की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गयी है. सजायाफ्ता युवती की मां, बेटी को मौत की सजा से बचाने के लिए ‘ब्लड मनी' लेकर पीड़ित परिवार से बातचीत करने के लिए यमना जाना चाहती है. केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद को सूचित किया कि भारत के यमन के साथ राजनयिक संबंध नहीं हैं और उसने वहां अपना दूतावास बंद कर दिया है. 

अधिवक्ता ने कहा कि मां के लिए यह उचित नहीं होगा कि वह वर्तमान में संघर्ष से जूझ रहे देश का दौरा करें. 

केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा, ‘‘पश्चिम एशिया में स्थिति ठीक नहीं है. इस अवस्था में यमन की यात्रा करना उचित नहीं है. अगर वहां याचिकाकर्ता (मां) को कुछ हुआ तो भारत मदद नहीं कर पाएगा. हम नहीं चाहते कि वहां फिरौती मांगने की स्थिति पैदा हो.''

Advertisement

यमन के उच्चतम न्यायालय ने 13 नवंबर को पश्चिम एशियाई देश में नर्स के रूप में काम करने वाली निमिषा प्रिया की सजा के खिलाफ दाखिल अपील खारिज कर दी थी.

Advertisement

प्रिया को तलाल अब्दो महदी नामक व्यक्ति की हत्या का दोषी ठहराया गया है, जिसकी जुलाई 2017 में मृत्यु हो गई थी. आरोप है कि प्रिया ने महदी के कब्जे से अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए उसे शामक (बेहोशी का) इंजेक्शन दे दिया था.

Advertisement

आरोप है कि प्रिया ने उसे बेहोशी का इंजेक्शन दिया ताकि उसके बेहोश होने पर अपना पासपोर्ट वापस ले सके लेकिन अधिक मात्रा के कारण उसकी मृत्यु हो गई.

Advertisement

प्रिया की मां ने भारतीय नागरिकों के लिए यमन जाने पर रोक के बावजूद वहां जाने और अपनी बेटी को बचाने के लिए ‘ब्लड मनी' पर बातचीत करने की अनुमति मांगने के लिए इस साल की शुरुआत में उच्च न्यायालय का रुख किया था.

‘ब्लड मनी' से तात्पर्य अपराधियों या उनके परिजनों द्वारा हत्या के शिकार व्यक्ति के परिवार को दिए जाने वाले मुआवजे से है.

याचिकाकर्ता का पक्ष रख रहे वकील सुभाष चंद्रन के.आर. ने कहा कि वर्तमान में भारत में व्यवसाय चलाने वाले कुछ भारतीयों को यमन की यात्रा करने की अनुमति दी जा रही है.

उन्होंने कहा कि वे कुछ भारतीयों को जानते हैं जिनके पास यमन का वैध वीजा है और वे महिला के साथ जाने और पीड़ित परिवार के साथ ‘ब्लड मनी' पर बातचीत करने के इच्छुक हैं. 

उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता के वकील से कल तक एक हलफनामा दाखिल करने को कहा जिसमें महिला के साथ यमन की यात्रा करने के इच्छुक लोगों का विवरण हो. अदालत ने मामले की सुनवाई 11 दिसंबर तक के लिए सूचीबद्ध की है.

ये भी पढ़ें :

* मणिपुर हिंसा से प्रभावित 284 छात्रों के लिए नई उम्मीद, सुप्रीम कोर्ट ने दिए 3 विकल्प
* तमिलनाडु में कैसे एक जांच एजेंसी अधिकारी ने डॉक्टर से वसूले 40 लाख रुपये?
* क्या किसी महिला पर रेप का केस दर्ज हो सकता है? सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
पूर्व IAS Puja Khedkar की Anticipatory Bail Petition खारिज, UPSC Exam में फर्जी दस्तावेज लगाने का आरोप
Topics mentioned in this article