सोने की तस्करी कस्टम एक्ट के तहत आएगा या गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत ‘आंतकी कृत्य'? इसका परीक्षण करने के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है. कोर्ट ने मामले में कानून के इस सवाल पर नोटिस जारी किया है. अदालत ने केरल हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दायर याचिका पर ये कदम उठाते हुए इसे एक अन्य मामले के साथ जोड़ दिया है. एनआईए ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है, जिसमें केरल सोने की तस्करी मामले में 12 आरोपियों को जमानत दी गई थी.
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सीजेआई एनवी रमना और जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि वो जमानत रद्द करने के पहलू पर विचार नहीं करेंगे. पीठ ने कहा कि वो कानून के इस सवाल पर सुनवाई करेंगे क्या? पीठ ने कहा कि क्या यह अपराध सीमा शुल्क अधिनियम के तहत कवर किया गया था? या यह गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 15(1) (ए) (iiiए) के तहत "आतंकवादी कृत्य" की परिभाषा के अंतर्गत आता है? पीठ ने कहा कि आरोपी सरकार के कर्मचारी हैं. हम जमानत रद्द करने के पहलू में नहीं जाएंगे. हालांकि, हम कानूनी प्रश्न को खुला छोड़ सकते हैं.
मामला 5 जुलाई 2020 को तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर सीमा शुल्क (निवारक) आयुक्तालय, कोच्चि द्वारा 14.82 करोड़ रुपये के 30 किलोग्राम 24 कैरेट सोने की जब्ती से संबंधित है, जिसे संयुक्त अरब अमीरात के वाणिज्य दूतावास को भेजी गई राजनयिक खेप के माध्यम से लाया गया था. एनआईए ने अपने विशेष अदालत के 15 अक्टूबर 2020 के फैसले के खिलाफ केरल हाईकोर्ट के समक्ष अपील दायर की थी, जिसने आरोपी को सशर्त जमानत दी थी और टिप्पणी की थी, कि यह दिखाने के लिए प्रथम दृष्टया सामग्री मौजूद नहीं थी कि आरोपी का आतंकी संगठनों से कोई संबंध रहा है.
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एनआईए की अपील को 18 फरवरी 2021 को खारिज कर दिया गया था और उच्च न्यायालय ने माना कि केवल सोने की तस्करी का कार्य, जो सीमा शुल्क अधिनियम के तहत आता है, यूएपीए (UAPA) धारा 15(1) (ए) (iiiए) के तहत "आतंकवादी कृत्य" नहीं होगा. जब तक कि ऐसा काम राष्ट्र की आर्थिक सुरक्षा को खतरे में डालने के इरादे से नहीं किया जाता है. गौरतलब है कि ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट में पहले ही लंबित है, जिसमें राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है.