उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ पर 15 साल पुराने मामले में मुकदमा दर्ज होगा या नहीं इस पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा. पूरे मामले में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. दरअसल, सीएम पर साल 2007 में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है. लेकिन इस मामले में मुकदमा दायर करने पर रोक लगा दी गई है. यूपी सरकार की तरफ से मुकदमे की इजाज़त न देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसमें शुक्रवार को कोर्ट फैसला सुनाएगा.
बता दें कि राज्य सरकार ने मई 2017 में सबूत नाकाफी बताते हुए मामले में मुकदमे की इजाजत से मना किया था. वहीं, 2018 में इलाहाबाद हाई कोर्ट इसे सही ठहरा चुका है. गौरतलब है कि बुधवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान सीएम योगी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि योगी अब मुख्यमंत्री बन गए हैं, इसलिए बात को बेवजह खींचा जा रहा है.
उन्होंने दलील दी कि सालों चले जांच के बाद सीआईडी को तथ्य नहीं मिले. उस दौरान राज्य में दूसरी पार्टियों की सरकार थी. साल 2017 में राज्य के कानून और गृह विभाग ने मुकदमा चलाने की अनुमति देने से मना किया. तब कारण भी यही थी कि पुलिस के पास मुकदमें के लायक काफी सबूत नहीं थे. इसे पहले निचली अदालत और 2018 में हाई कोर्ट भी ये मान चुका है.
गौरतलब है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने 20 अगस्त 2018 को नोटिस जारी किया था. वहीं, बुधवार को मौजूदा चीफ जस्टिस एनवी रमण की बेंच ने इस पर आदेश सुरक्षित रखा है.
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