तहव्वुर राणा ने भूरे रंग का जंपसूट क्यों पहना.
26/11 मुंबई आतंकी हमले का मास्टमाइंड तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana Jumpsuit) जैसे ही भारत लाया गया, NIA कस्टडी में उसकी एक फोटो जारी की गई, जो पूरे मडिया में छा गई. इस फोटो में वह पहले से बहुत अलग लग रहा था. हालांकि उसका चेहरा तो नहीं दिखा लेकिन उसके पके हुए सफेद बाल और उनके कपड़ों ने सबका ध्यान अपनी तरफ जरूर खींचा. दरअसल उसकी पिछली फोटो में उसके सिर पर घने बाल दिखाई दे रहे थे. लेकिन कई तस्वीर बिल्कुल अलग थी. उसने ढीला सा ब्राउन रंग का जंपसूट पहना हुआ था. जिसे देखकर ज्यादातर लोगों के मन में सबसे पहले यही सवाल उठा होगा कि ये कैसे कपड़ों में तहव्वुर अमेरिका से भारत लाया गया है.
आमतौर पर लोग पैंट-शर्ट, टीशर्ट या कुर्ते पायजामे में दिखाई देते हैं लेकिन तहव्वुर जंपसूट में क्यों. उसका जंपसूट लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. तहव्वुर ब्राउन रंग के जंपसूट में अमेरिका से भारत क्यों लाया गया, इसके पीछे की वजह जानिए
तहब्बुर ने क्यों पहना ब्राुउन रंग का जंपसूट?
ब्राउन रंग का जंपसूट आतंकी तहव्वुर ने अपनी मर्जी से नहीं चुना, बल्कि ये तो अमेरिका में कुछ खास कैदियों की एक यूनिफॉर्म है. कुछ विशेष परिस्थितियों में ही कैदियों को ये यूनिफॉर्म पहनाई जाती है. जानकारी के मुताबिक मीडियम से हाई रिस्क वाले कैदियों को इस तरह की यूनिफॉर्म पहनाई जाती है. ये उनकी पहचान अलग से हो सके. ब्राउन रंग के जंपसूट के पीछे एक अन्य कारण भी है.
भूरे रंग को मनोबल गिराने वाला माना जाता है. कैदियों में आत्मचिंतन की भावना आए, इस मकसद से भी कैदियों को इस रंग का यूनिफॉर्म दिया जाता है. पहले कैदियों को ऑरेंज रंग की वर्दी भी पहनाई जाती थी.
(अमेरिका में कैदियों को ऑरेंज वर्दी भी पहनाई जाती थी istock फोटो)
अमेरिका में कैसी है कैदियों की यूनिफॉर्म?
अमेरिका में समय-समय पर कैदियों की ड्रेस बदलती रही है. कैदियों की यूनिफॉर्म महज कपड़े नहीं बल्कि सिस्टम और अपराध की प्रकृति का प्रतिबिंब होती है. यहां समय के साथ कैदियों के कपड़ों के रंग में भी बदलाव आता रहा है. कभी काली-सफेद पट्टियों वाली यूनिफॉर्म तो कभी चमकीली ऑरेंज रंग की ड्रेस, फिर गुलाबी और अब ब्राउन रंग के जंपसूट तक.
(अमेरिका में कभी ऐसी थी कैदियों की ड्रेस. istock फोटो
कैदियों की यूनिफॉर्म में ये बदलाव वहां के फैशन को नहीं दिखाता बल्कि यह सुरक्षा, समाज के दृष्टिकोण और मनोवैज्ञानिक प्रभाव से जुड़ा हुआ है. बता दें कि अमेरिका में 1820 से 1930 के बीच जेलों में कैदियों को काली-सफेद पट्टियों वाली वर्दी पहनाई जाती थी.