सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल का मामला बड़ी बेंच को क्यों भेजा, कब आ सकते हैं जेल से बाहर

सुप्रीम कोर्ट ने शराब नीति में कथित घोटाले के उस मामले में अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी है, जिसकी जांच ईडी कर रही है. अदालत ने गिरफ्तारी को चुनौती देने वाले मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया है. अदालत ने कहा कि सीएम पद से इस्तीफे का फैसला केजरीवाल को ही करना है.

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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की आबकारी नीति मामले में ईडी की ओर से गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी है. इस जमानत के बाद भी वो जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे, क्योंकि इस समय वो सीबीआई की हिरासत में हैं. उन्होंने जमानत के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है. हाई कोर्ट 17 जुलाई को केजरीवाल की जमानत पर सुनवाई करेगी. उसी दिन यह तय होगा कि केजरीवाल जेल से बाहर आएंगे या नहीं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आम आदमी पार्टी ने सत्य की जीत बताया है.

अरविंद केजरीवाल के मामले की जस्टि संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने सुनवाई की.अदालत ने कहा कि इस मामले में कुछ सवाल हैं जिसे एक बड़ी बेंच द्वारा देखे जाने जरूरत है.

अदालत ने क्या क्या कहा है?

जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा,"अरविंद केजरीवाल 90 से अधिक दिनों से जेल में बंद हैं." उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान जिन शर्तों पर केजरीवाल को रिहा किया गया था, उन्हीं शर्तों पर उन्हें रिहा किया जाएगा.उन्होंने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अरविंद केजरीवाल एक चुने हुए नेता हैं.अदालत ने यह भी कहा कि केजरीवाल मुख्यमंत्री बने रहेंगे या नहीं, इस बारे में अदालत से निर्देश नहीं दिया जा सकता.

जस्टिस खन्ना ने कहा,"इस पर फैसला लेने की जिम्मेदारी हम अरविंद केजरीवाल पर छोड़ते हैं."

दिल्ली की शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था. केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. वहां उनकी याचिका खारिज हो गई. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली.सुनवाई के बाद अदालत ने 17 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

अदालत को चुनाव प्रचार के लिए मिली थी जमानत

अदालत ने मई में लोकसभा चुनाव को देखते हुए चुनाव प्रचार के लिए अरविंद केजरीवाल को 10 मई को अंतिरम जमानत दी थी.अदालत ने उन्हें दो जून को फिर से जेल जाने के लिए कहा था.इस पर अंतरिम जमानत पर आए केजरीवाल ने चुनाव प्रचार किया और दो जून को जेल अधिकारियों के सामने समर्पण कर दिया. 

एनडीटीवी संवाददता शर्मा शर्मा और आषीश भार्गव के मुताबिक अदालत ने अपने मौखिक आदेश में कहा है कि केवल पूछताछ के आधार पर ही गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.गिरफ्तारी किस आधार पर होनी चाहिए, इस पर फैसला अब बड़ी बेंच में होगी.पीएमएलए और रिव्यू का मामला तीन जजों की बेंच में चल रहा है,वहीं अंतरिम जमानत का मामला दो जजों की बेंच में है,इसिए गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका बड़ी बेंच में भेज दी गई है.

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पीएमएलए मे एजेंसी के असीमित अधिकार

सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले ने पीएमएलए के कठोर प्रावधानों और एजेंसी की असीमित ताकतों पर अंकुश लग गया है. अदालत ने यह साफ कर दिया है कि केवल पूछताछ या आरोपी का समन तामील न करना ही गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकता है.अदालत ने यह तय कर दिया है कि पीएमएलए की धारा-19 के तहत जांच अधिकारी के पास असीमित अधिकार होते हैं. वह केवल किसी के बयान के आधार पर किसी को गिरफ्तार कर सकते हैं या नहीं यह फैसला अब बड़ी बेंच करेगी. 

सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को 26 जून को गिरफ्तार किया था.उनकी जमानत याचिका दिल्ली की एक अदालत में लंबित है. 17 जुलाई को सुनवाई होनी है.उसी दिन उनकी जमानत पर फैसला होगा.इसके बाद ही तय हो पाएगा कि वो जेल से बाहर आ पाएंगे या नहीं.

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सुप्रीम कोर्ट से अरविंद केजरीवाल को मिली अंतरिम जमानत को उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी ने सत्य की जीत बताया है. आप का कहना है कि केजरीवाल सत्य के साथ खड़े थे और सत्य के साथ खड़े रहेंगे.

आम आदमी पार्टी ने बताया सत्य की जीत

फैसला आने के बाद पार्टी के एक राज्य सभा सदस्य संदीप पाठक ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है.यह आगे की दिशा का निर्धारण करेगा.उन्होंने कथित शराब घोटाले को बीजेपी ओर रचित घोटाला बताया. उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी ईडी दुर्भावना से काम कर रही है.ऐसे में यह ईडी के लिए यह गंभीर बात है.

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आप नेता ने कहा कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह और बीजेपी ने देश की जनता को एक ही चीज दी है, वह है तानाशाही की व्यवस्था.उन्होंने कहा कि जिस नेता या व्यक्ति को ये लोग सामने से हरा नहीं सकते हैं, उन्हें गलत तरीके से फंसा कर जेल में डाल देते हैं.उन्होंने कहा कि ऐसा करना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि बीजेपी को सही राजनीति करनी चाहिए.

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